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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

सोमवार, 7 जून 2010

15000+ की मौत पर 2 वर्ष कैद व कुल 7 लाख जुर्माने का रिकार्ड बनाने के बाद एक करोड़+ की मौत पर न कोई सजा न जुर्मना पक्का करने वाला काला कानून बनाने की तैयारी आओ प्रतिरोध करें।


आप सब को बड़ा अजीब लगा होगा पोस्ट का शीर्षक पढ़कर पर यही सच्चाई है जिसके पहले हिस्से का सामना आज आप कर चुके हैं व दूसरे हिस्से का सामना आने वाले दिनों में करेंगे अगर जिन्दा वचे तो।


आपको अगर जानकारी है तो परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू होने से पहले दुनिया में जैविक हथियारों को सबसे खतरनाक हथियार माना जाता था इन्हीं जैविक हथियारों की तकनीक उपयोग होता था भोपाल के कारवाईड कारखाने में।


जी हां यह कारखाना लगाया गया था मानबाधिकार के ठेकेदार अमेरिका द्वारा भारत की मानबाधिकारों की ठेकेदार सेकुलर सरकार से इजाजत मिलने के बाद।


कांग्रेस के नेताओं ने इस कारखाने की आज्ञा देते वक्त भारतीयों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के वजाए अपनी तिजोरियों को भरना ज्यादा सुनिश्चित किया था।


ठीक उसी तरह जिस तरह विजली की पूर्ती का बहाना बनाकर परमाणु करार को वेकरार कांग्रेस सरकार ने भारतीय विज्ञानिकों की हर जायज मांग को नकारते हुए अमेरिका के आगे भारत की समप्रभुता तक को गिरवी रख दिया।


सुरक्षा के लिहाज से भारतीय विज्ञानिकों ने आज तक जो भी उपलब्धियां हासिल की थी उन सबपर ये करार कर एक तरह से पानी पेर दिया गया।


समझौता हो जाने के वाद का मामला था परमाणु संयन्त्र भारत में लगाने का जिसमें अरबों डालर की घूंस मिलना निश्चित था ।


इसके लिए कांग्रेस सरकार की मुखिया इसाई एंटोनिया ने सबसे पहले हिन्दू रक्षामन्त्री को बदलकर इसाई रक्षामन्त्री बनावाय ताकि कहीं इन सौदों से मिलने वाली घूंस की पोल हिन्दू रक्षामन्त्री तेल के वदले अनाज घोटाले में मिली घूंश की पोल खोलने वाले हिन्दू नटवर सिंह के रास्ते का अनुशरण कर इस इटालियन इसाई को किसी मुसीबत में न डाल दे.।


बैसे इस देशविरोधी फैसले के लिए सिर्फ इटालियन अंग्रेज को दोश देना नजायज होगा क्योंकि ये सब गुलाम कांग्रेसियों की सहायता के विना सम्भव नहीं था।


हम सब जानते हैं कि कारकाने बदलते परिबेश की जरूरत बन गए हैं लेकिन हर देश की सरकार खतरनाक कारखाने लगाने से पहले अपने नागरिकों की सुरक्षा निशचित करती है लेकिन भारतीय नेताओं ने अपनी जनता की सुरक्षा को सुनिश्तित करने की जगह अपनी जेवों को भरना लगभग अपनी आदत में ही सुमार कर लिया है।


बात चाहे रक्षा सौदों की हो,परमाणु कचरे का डंप करने की हो या फिर कारखाने लगाने की ।


एक बात निश्तित है कि ये नेता भारत के दुशमनों से मिलने वाले टुकड़ों के बदले अपनी जनता को जहर तक खिला-पिला सकते हैं और पेप्सी व कोक के रूप में पिला भी रहे हैं। इस मामले में हमारे पढ़ेलिखे IAS अधिकारी भी इन नेताओं की पोल खोलने के बजाए इनकी छत्रछाया में अपनी तिजोरियां भरने को ही जोर देते हैं।


इसके अतिरिक्त जो वाकी पढ़े-लिखे लोग–पत्रकार-अध्यापक-वेरोजगार-दिहाड़ीदार हैं वो भी सरकार व अधिकारियों की इस मिली भक्त के विरूद्ध अन्दोन चलाने या विरोध करने या संघर्ष करने के बजाए सरकारी भौंपु की ही तरह सरकार द्वारा फैलाए गए झूठ को ही आगे फैलाते रहते हैं विना अपने विवेक का उपयोग किए।


परिणामस्वारूप हमारी आदत बन गई है दुर्धटना हो जाने के वाद छाती पीटना न कि दुर्घटना या विपती आने से पहले उससे मुकावला करने की तैयारी करना या उसे रोकने के ले कोई प्रयत्न करना।


अगर कोई जनता का शुभचिन्तक व्यक्ति या संगठन इन सरकारी षडयन्त्रों से लड़ने का बीड़ा उठाए तो हम उसका साथ देने के बजाए उसके विरूद्ध देशविरोधी षडयन्त्रकारियों का साथ देते हैं परिणामस्वारूप देश पर लगातार गद्दार राज कर जनता के जानमाल को खतरे में डालते जाते हैं।


आओ अब हम आगे आने वाले खतरे की बात करें ।


जैसा कि आप सब जानते हैं कि कांग्रेस सरकार संसद में एक ऐसा विल लेकर आयी है जिसके पास होने का मतलब है बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारतीयों का खून बहाने की खूली छूट देना।


ध्यान रहे कि ये विधेयक परमाणु हथियारों की तकनीक पर अधारित लगने वाले का विजली कारखानों से सबन्धित है।


इस विधेयक के अनुशार परमाणु दुर्घटना घटने पर कारखाना लगाने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियां किसी तरह से जिम्मेदार नहीं होंगी न तो उन पर कोई मुकदमा चलाया जा सकेगा न कोई हर्जाना किया जा सकेगा।


यह विधेयक कितना खतरनाक है इसका अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आमतौर पर आंखबन्द कर एंटोनिया की गुलामी करने वाले सांसदों से भरी-पड़ी कांग्रेस में से ही 35 देसभक्त सांसदों ने संसद से अनुपस्थित रहकर इस विधेयक को पारित होने से रोका।


लेकिन अमेरिका के हित साधने को समर्पित एंटोनिया व मनमोहन हर हालात में इस विधेयक को पारित करवाकर जनता के जानमाल को खतरे में डालने पर अमादा है।






अन्त में आप सबसे इतनी सी अपील है कि एक तो इस खतरे के वारे में जनता को अपने-अपने सीमित साधनों का उपयोग कर जागरूक करें और अगर सही लगे तो निम्न पतों पर राष्ट्रपति व प्रधानमन्त्री को अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए मेल करें व अन्य लोगों को भी सीधे संपर्क या लेखों के माध्यम विरोध के लिए प्रेरित करें। ये दोनों पते Honesty Project Democracy से लिए गए हैं।


presidentofindia@rb.nic.in ये राष्ट्रपति जी का ईमेल है /


pmosb@pmo.nic.in ये प्रधानमंत्री जी का ईमेल है /


आशा है आप अपने द्वारा भेजी गई मेल की एक कापी हमें भी


sdsbtf@gmail.com पर जरूर भेजेंगे।


आपका


सुनील दत्त










13 टिप्‍पणियां:

Shekhar Kumawat ने कहा…

aap ki chinta wajib he

kunwarji's ने कहा…

प्रधानमंत्री(जी) और राष्ट्रपति(जी) मेल आई डी देकर बहुत गलत कर दिया जी उनके लिए तो आपने....

कुंवर जी,

Unknown ने कहा…

गलती हो गई दोबारा न करेंगे। हम तो बस इतना चाहते हैं कि देश का अहित करने वालों को इतना तो पता चल जाए कि जनता समझने लग पड़ी है कि वो किसके लिए काम कर रहे हैं भारत के लिए या फिर भारत के दुशमनों के लिए

honesty project democracy ने कहा…

हाँ यहाँ हम भी कुवंर जी से सहमत है ,यहाँ इन इ.मेल पर इ.मेल करने से कुछ नहीं होगा ,यहाँ लोगों को एकजुट करने की जरूरत है ,वैसे आप सही दिशा में प्रयास कर रहें है ,ऐसे ही प्रयास से थोरी बहुत जागरूकता आएगी लोगों में ,धन्यवाद आपका |

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वाकई में यह समय चेतने का है...

aarya ने कहा…

सादर वन्दे!
मेल आई डी से क्या होगा "भैंस के आगे बिन बजावे भैंस बैठ पाघुरय" (अरे मैंने ये क्या लिख दिया, इस देश में तो मुहावरा कहना पाप मना जाने लगा है !) | वैसे ये भी सही है बजाते रहने से भैंस कुछ समझे या ना समझे भाग तो जाएगी ही | और शायद यही हमारे समस्या का निदान होगा |
आँखे खोलती पोस्ट !
रत्नेश त्रिपाठी

Unknown ने कहा…

15000 लोगों के साथ हुए इस अनयाय का सबसे बढ़ा अपराधी अर्जुन सिंह है न कि न्यायलय

हम सबको यह समझना होगा कि ये त्रासदी हुई 2 दिसम्वर रात को हुई , 3 दिस्मबर को मुकदमा दर्ज किया गया,4 दिसमबर को मुख्या आरोपी एंडरसन को गिफतार कर लिया गया ,6 दिस्मबर को मामला CBI को सौंप दिय गया उसी दिन एंडरसन को जमानत पर रिहा करने की प्रक्रिया पूरी की गई,7 दिसम्बर को त्तकालीन केन्द्र व राज्य(मुख्यामन्त्री अर्जुन सिंह) की कांग्रेस सरकारों ने एंडरसन को देश छोड़कर अपने निजी विमान से भगने दिया।
कुल मिलाकर कांग्रसी नेताओं ने 15000 लोगों के कातिल को भगाने व उस पर चल रहे केश को कमजोर करने पर अपनी पूरी मेहरवानी दिखाई ।हम सब को ध्यन रखना चाहिए माननीय न्यायलय द्वारा फैसला करना पूरी तरह से नयायलय के सामने रखे गए तथ्यों पर अधारित रहता है।इस मामले में भी सरकार ने न्यायलय के सामने तथ्य इस तरह से प्रसतुत किए कि अपराधी बच निकलें ।कुल मिलाकर इस अन्याय के दोशी सिर्फ और सिर्फ कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने आम लोगों के कत्ल को नजरअंदाज कर अमेरिका के इसारे पर देशहित –जनहित के विरूद्ध काम किया।

बुरकेवाली ने कहा…

JAI HO

Parul kanani ने कहा…

baat ki gambhirta ko samjhna hum sabke liye jaruri hai..vaise aapka jikra hi aapki fikra bhi hai!

hem pandey ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
hem pandey ने कहा…

भोपाल गैस त्रासदी के सम्बन्ध में तत्कालीन सरकार,कारखाने को लगाने की इजाजत देने वाले लोग, संभावित दुर्घटना के लिए चेताये जाने पर भी सोये रहने वाले सबंधित जिम्मेदार लोग तो दोषी हैं ही.निश्चित ही इनकी दरियादिली के लिए इन्हें लम्बी रकम मिली होगी.किन्तु गैस पीड़ितों के हित में लड़ने वाले संगठन भी क्या बिक गए थे ?कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामूली धाराओं ( जिसमें अधिकतम सजा वही हो सकती थी,जो अब मिली है ) में मुकदमा चलाने के निर्देश मिले थे. यह बात इन संगठनों को तभी समझ लेनी चाहिए थी.तथाकथित सेकुलर बिरादरी की एक पक्षीयता के सन्दर्भ में आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

Unknown ने कहा…

अधूरी जानकारी के लिए क्षमा प्रर्थी होने के साथ हम आपको यह बताना चाहेंगे कि मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह ने ततकालीन प्रधानमन्त्री राजीब गांधी (उसकी सलाहकार एंटोनिया ही समझें) के इसारे पर एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली भेजा । आगे का काम देश के प्रधानमन्त्री राजीब गांधी जी की सरकार ने पूरा किया।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.