Pages

मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

गुरुवार, 13 मई 2010

दो शब्द हिन्दू क्रांतिकारियों( देवेन्द्र और चन्द्रशेखर) के नाम

 पुष्प कांटो में खिलते हैं,


दीप अंधेरों में जलते हैं


आज नहीं युगों से प्रहलाद,


पीड़ाओं में पलते हैं


भला यातनाओं के बल पर,


क्या कभी क्रांतिकारी रूकते हैं?


9 टिप्‍पणियां:

कडुवासच ने कहा…

...बहुत खूब !!

nilesh mathur ने कहा…

वाह! कमाल की रचना है!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

Ati sundar , sunil ji

... ने कहा…

great

... ने कहा…

उन गद्दारों (जमाल, असलम, सलीम अयाज, सफत , इदरीसी, जीशान) का क्या? जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं. वन्दे मातरम् कहने में जिनकी---------- फटती है

kunwarji's ने कहा…

waah!
par ise aage bhi badhaaya ja sakta hai..

bahut khoob!

kunwar ji,

Unknown ने कहा…

सब गद्दारों को बहुत जल्दी ही उनके किए की सजा भुगतनी पड़ेगी

दिवाकर मणि ने कहा…

आपकी लेखनी की उग्रता उपयुक्त है...
------------

मौत से जूझते एक ब्लॉगर को जरुरत है आपके शुभकामनाओं की ---> http://diwakarmani.blogspot.com/2010/05/blog-post_14.html

Unknown ने कहा…

कुंवर जी आप बढ़ा दिजिए न कौन रोक रहा है