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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

सोमवार, 24 मई 2010

बलागर्स समेलन का सबसे ज्यादा नुकशान हमें ही उठाना पड़ा।आगर आप चाहें तो टिप्पणी कर पूरा कर सकते हैं।

आपको शायद ये सोचकर आच्मभा हुआ होगा कि बलागर्स मिलन से किसी का क्या नुकसान हो सकता है पर यह सच है एक तो हमारे लेख गणित के प्रभाव के कारण सीधे सपाट होते हैं और दूसरे इन्हें छापने वाला कोई नहीं मिलता किसी ने हौसला कर छाप ही दिया तो इस ब्लागर्स मिलन की बजह से, जिन्हें पढना था वो पढ़ नहीं पाए ,इसलिए उम्मीद करते हैं कि आप वन्देमातरम् पत्रिका में छपा हमार ये लेख देशभक्त कांग्रसियों के नाम खुला पत्र पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे जी।

14 टिप्‍पणियां:

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

लेख वाकई बहुत बढिया है....
बधाई!!

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

पहले भी आपका लेख पढ़ा था... जिस रोज़ सियासी दल देश हित में सोचने लगेंगे, उस दिन से समस्याएं ख़त्म होनी शुरू हो जाएंगी...
इंसाफ़ के मुद्दे पर आप हमें हमेशा साथ पाएंगे...

honesty project democracy ने कहा…

सुनील दत्त जी ये साडी दुर्दशा लोगों के जमीर के पूरी तरह मर जाने और इंसानियत के कराहने की वजह से बिरोध का स्वर दब जाने का परिणाम है / एकजुट होइए और कीजिये लोगों को और जगाइए देश के जमीर को / आज देश को पारदर्शिता और सामाजिक जाँच की जरूरत है /

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

हालांकि अखवार की कटिंग (Page 9) ठीक से नहीं खुल रही फिर भी जितना कुछ पढ़ पाया हूँ उसके लिए निश्चित आप बधाई के पात्र है, सुनील जी !

Unknown ने कहा…

बढ़िया लिखा है आपने, कांग्रेसियों की पोल ऐसे ही लगातार खोलते रहिये… देश ही नहीं दुनिया की सबसे नीच पार्टियों में से एक है ये…

कडुवासच ने कहा…

...प्रसंशनीय लेख !!!

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

जिस रोज़ सियासी दल देश हित में सोचने लगेंगे, उस दिन से समस्याएं ख़त्म होनी शुरू हो जाएंगी...
इंसाफ़ के मुद्दे पर आप हमें हमेशा साथ पाएंगे...

Unknown ने कहा…

आप सब का धन्यावाद
आपमें से कुछ ने पसंद का चटका न लगाकर नापसंद का चटका लगाने वाले नपुंसक को इस पोस्ट को गिराकर वाकियों को इस सच्चाई को पढ़ने से बंचित करने का मौका दे दिया।आगर आप ये टिप्णी पढ़ें और लेख आपको अच्छा लगे तो पसंद का चटका जरूर लगायें ताकि और भी इस सच्चाई को जान सकें

VICHAAR SHOONYA ने कहा…

badiya lekh. apka prayas prasansniy hai.

Unknown ने कहा…

क्या कोई हमें बता सकता है कि टिप्णीयां कहां जा रही हैं। जी हां आज हमारे लेख में बलागवाणी पर 8 टिपणीयां दिखाई दे रही हैं जबकि बलाग पर कभ 2 कभी 5 ऐसी ही गड़वड़ पसंद की संख्या के साथ भी चल रही है क्या मामला है ये हम जानना चाहते हैं।

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लेख.टिप्पणी कर दे रहे हैं ताकि नुकसान की कुछ भरपाई तो हो जाये,. :)

राम त्यागी ने कहा…

बढ़िया लेख ...लिखते रहो ऐसे ही

kunwarji's ने कहा…

एक-एक सवाल ही काफी है यदि किसी को शर्म हो तो.....

"गलत को गलत कहना और बेबाकी से कहना" उसका ही नजारा यहाँ आज इस पोस्ट में.....हर बार की तरह एक और अच्छा प्रयास जगाने का जिसका असर दिख भी रहा है......

अथक लगे रहो जी...एक दिन सारा देश एक हो के रहेगा.....

कुंवर जी,

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

लेख जरुरी है, और आपने अच्छा लिखा.
सब जाने सब समझे ये जरुरी है