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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

गुरुवार, 13 मई 2010

ये बौद्धिक आतंकवाद न जाने और कितनों की जान लेगा?

आतंकवाद तो कुछ लोगों की जान लेने की ताकत रखता है वो भी बहुत आतंकवादियों की जान देने के बाद। लेकिन बौद्धिक आतंकवाद एक ऐसा सस्त्र है जिसकी तुलना हम सिर्फ प्रमाणु हथियारों से लैस आतंकवाद के सिवाय किसी और तरह के आतंकवाद से नहीं कर सकते।बौद्धिक आतंकवाद का जो हमला भारत पर आज से लगभग 20 वर्ष पहले शुरू हुआ वो आज अपने पूरे शबाब पर है। बौद्धिक आतंकवाद पूंजीवादियों ब्याभिचारियों, नसैड़ियों,आतंकवादियों के मददगारों व अंडरबर्ड से जुड़े शातिर अपराधियों व उनके मददगार राजनैतिक लोगों का एक ऐसा नैक्सस है जो भारत में सेकुलर गिरोह के नाम से जाना जाता है। इस गिरोह का एकमात्र उद्देश्य मानबता की आधार सत्मभ भारतीय संसकृति को भारत से उखाड़ फैंकना है। इस गिरोह की सफलता का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारतीय संस्कृति को जितना नुकसान लगभग 500 बर्ष के मुसलमानों के गुलामीकाल व 300 बर्ष के ईसाईयों के गुलामीकाल में हुआ उससे कहीं ज्यादा नुकसान ये सेकुलर गिरोह पिछले 25 बर्षों में भारत को पहुंचा चुका है। अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि मिडीया पर इस गिरोह की पकड़ को देखते हुए बड़े से बड़ा सुधारवादी नेता या भारतीय संसकृति का सच्चा पक्का सांस्कृतिक योधा भी इस गिरोह द्वारा भारत के आस्था केन्द्रों व परम्मपराओं पर बोले जा रहे हमले का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।


हम जानते हैं कि भारत गांव में बसता है और गांव की जिन्दगी का आधार है गोत्र। बेशक गोत्र पर आप समाज मे ज्यादा चर्चा नहीं सुनते लेकिन गोत्र ही वो शूत्र है जो एक गांव को भाईचारे का स्वारूप देकर उसे एक परिवारिक इकाई बनाता है।गोत्र के अन्दर शादी की बात तो दूर लोग कोई अबैध सबन्ध तक गोत्र के अन्दर बनाने से बचते हैं। इसी गोत्र की बजह से बच्चियां गांव के अन्दर विना किसी डर या संकेच के कहीं भी आ जा सकती हैं खेल सकती हैं घूम सकती हैं।किसी तरह की कोई दहशत नहीं कोई बन्दिश नहीं।आज तक भारत में कोई भी एक भारतीय ऐसा नहीं मिलता जो गोत्र में शादी न होने की बजह से कुवारा ही रह गया हो ।


फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि कि आशुतोष राणा जैसे बौद्धिक आतंकवादी गोत्र पर अपने ही चैनल में अपने ही द्वारा वुलाए गए लोगों के वीच में चर्चा करते हुए आपा खोकर ऐसी बात कर जाते हैं जो शायद देश का बड़े से बड़ा खुंखार आतंकवादी भी बोलने से पहले सौ बार सोचे।
हम दावे से कह सकते हैं कि लगातार भारतीय संसकृति पर हमला वोलने वाले विजय चतुर्वेदी,संदीप चौधरी,एच के दुआ जैसे लोगों का भारत के हित से दूर-दूर तक कोई बास्ता नहीं।


हमारी जानकारी के अनुशार जिस तरह ISI अपने मुसलिम आतंकवादी गिरोहं द्वारा लम्बे समय तक बम बिसफोट न करने पर बौखला कर उनको यथाशीघ्र हमला कर भारत को सुलगाने के आदेश करते हुए ऐसा न करने पर उनको परिणाम भुगतने की चेतावनी जारी कर दबाब बनाती है ठीक उसी तरह भारत के वो शत्रु जिन्होंने भारतीय संस्कृति को तबाह और बरबाद करने के लिए अपने चैनल भारत में खोले हैं व यहां के परजीवियों को भारी रकम देकर खरीदा है ने लगातार सांस्कृतिक मूल्यों पर हमला वोलकर भारत को सुलगाय रखने की योजना बना रखी है ऐसा न होता देखकर इन परजिवीयों पर चाबुक चला देते हैं बस चाबुक चलते ही ये टुकड़मार भारतीय परमपराओं पर भौंकना सुरू कर देते हैं ।


ये मूर्ख इतना भी नहीं जानते कि जब भारत न रहेगा तो इन्हें कोई टुकड़ा क्यों डालेगा? टुकड़ा तभी तक डाला जा रहा है जब तक भारत है और भारत तब तक है जब तक भारतीय मानब मूल्य हैं।
देखा नहीं कि सेकुलर गिरोह के मित्र मुसलिम आतंकवादियों ने पहले हिन्दूत्वनिष्ठ हिन्दूओं को निशाना बनाया देशबक्तों के कत्म होते ही इन आतंकवादियों ने सेकुलर गिरोह से जुड़े हिन्दूओं को भी मौत के घाट उतार दिया।चलो हम तो बुरे हैं क्योंकि हम हिन्दूत्व की बात करते हैं पर सेकुलर हिन्दू तो हमेशा आतंकवादियों के नाम की ही मला जपते हैं उन्हें बचाने के नित नय बहाने डूंढते हैं उन्हें क्यों मार-भगा दिया इन मुसलिम आतंवादियों ने?


हम मानते हैं कि प्यार पर किसी का कोई बस नहीं होता पर विनब्याही को मां बना कर जिम्मेदारी से भाग खड़े होने को प्यार नहीं कहते। ना ही खुलेआम पशुओं की तरह वासना पूर्ती करने व कपड़े न पहनने को आधुनिकता कहते हैं।


हम मानते हैं कि जाति के आधार किसी के साथ किसी तरह को कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए पर जबरदस्ती अन्तरजातीय विबाह थोपने की जिद क्यों? होने चाहिए अच्छी बात है पर जबदस्ती करने से क्या फायदा ? आखिरकार जिन्दगी कोई फिल्म तो है नहीं कि तीन घंटे के वाद नई शुरू हो जायेगी।


हमारे सम्पर्क में ऐसे कितने ही मुसलमान हैं जो हिन्दू बनना चाहते हैं पर हम उन्हें सिर्फ इसलिए हिन्दू नहीं बनाते कि कल को उनके बच्चों के रिस्तों का क्या होगा ? जिन लोगों ने अन्तरजातिय विवाह या फिर प्रेमविबाह किए हैं वो आज मैटरो पोलिटन शहरों में तो रह सकते हैं पर गांव में उनको अच्छी निगाह से नहीं देख जाता ? आप क्या कर लेंगे उनका कुछ नहीं सिर्फ सटूडियो में बैठकर कुतों की तरह भौंकने से आप अपनी बात हर किसी पर नहीं थोप सकते।


समाज में लगातार बढ़ रहे बयाभिचार ,हिंसा, नशेवाजी व भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार वो  कंजर हैं जो सटूडियों में बैठकर,फिल्में बनाकर लेख-लिखकर मानब की कमजोरियों को महिमामंडित कर आनेवाली नस्लों को गुमराह करने का कुकर्म कर रहे हैं।इन हरामजादों के बच्चे तो गाड़ियों में बैठकर सुरक्षागार्डों के साय में सुरक्षित हैं पर इन्हें क्या पता कि आज भी गांव में गरीब की बेटी को 3-7 किलोमीटर तर पैदल यात्रा करनी पड़ती है सुनसान जगह पर अपने घर में विना बाप के साय के अकेला रहना पड़ता है क्योंकि बाप को रोटी कमानी होती है वहां न कोई पुलिस है न कोई सुरक्षा गार्ड सिर्फ संसकार उनकी रक्षा करता है।


हम इन दुष्टों से जानना चाहते हैं कि अगर उन्हें मानबता की वाकई चिन्ता है तो चलाओ अभियान कशमीर घाटी से विस्थापित हुए लाखों लोगों को उनके घर बसाने का।बनाओ दबाब भारत सरकार पर देश में जाति-सांप्रदाय-क्षेत्र-भाषा –लिंग आधाराति सब कानूनों को निरस्त कर भारतीय के लिए कानून बनाने का।दिखाओ दिनरात गुरूनानक देब जी के उन बचनों को जिनमें उन्होंने जात-पात से बाहर निकलने का रास्ता दिखाया।दिखाओ स्वामीविवेकानन्द जी की कृतियों को जो मानब जीबन को कमियों से दूर करने की राह दिखाती हैं।दिखाओ लोगों को सन्त रविदास जी की जीबनी जो खुदवाखुद मनाब-समानता को आगे बढ़ाती है। पर नहीं इन भारत विरोधियों को तो सिर्फ बौद्धिक आतंकवाद फैलान है । अगर इस मिडीया पर यथाशीघ्र रोक नलगाई गई तो न जाने विदेशियों के इसारे पर चलाया जा रहा ये बौद्धिक आतंकवाद और कितने लोगों की जान ले लेगा ?










2 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सही बात कोई सुनना ही कब चाहता है...

... ने कहा…

उन गद्दारों (जमाल, असलम, सलीम अयाज, सफत , इदरीसी, जीशान ) का क्या? जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं. वन्दे मातरम् कहने में जिनकी---------- फटती है

पहले पास के आतंकवादियों से तो निपट लो,