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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

सोमवार, 31 मई 2010

अब तो गद्दारों की सरदार के भारत विरोधी कारनामों की चर्चा अखबारों मैं भी

हमने अंग्रेजों द्वारा भारत में planted इस गद्दार से कई बार परिचय करवाया लेकिन हरवार आपको लगता होगा कि हम ये किसी पूर्वाग्रह से लिख रहें हैं लेकिन जो बातें हमने आपको बताई थी वही बातें अब देश की प्रसिद्ध व सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अखवार में भी छपी हैं।

हमने आपसे पूछा था कि क्वात्रोची किसका मित्र है राजीब जी का या एंटोनियो मानियो मारियो का आपने आज तक जबाब नहीं दिया।
हमने आपको बताया था कि बेचारे राजीब जी ब्यर्थ में बदनाम हुए बोफोर्स घोटाला तो क्वात्रोची और एंटोनिया की मिलीभगत से हुआ।
जब राजीब जी को इनकी इस करतूत का पता चला तब उन्हें क्वात्रोची व उसके मित्रों ने LTTE के माध्यम से ठिकाने लगा दिया(यही बजह थी कि हर जगह राजीब जी के साथ रहने वाली ये अंग्रेज उस दिन राजीब जी के साथ नहीं थी) उसकी चर्चा भी एक अखवार में हो चुकी है।
हमने आपको वताया कि गुलाम प्रधान्मन्त्री ने एंटोनियो के इसारे पर कानून मन्त्री को लंदन भेज कर क्वात्रोची के पैसे छुडवाए।
हमने आपको बताया था कि अरजेंटीना में इस भारत के इस शत्रु के पकड़े जाने पर गुलाम प्रधानमन्त्री ने एंटोनिया के इसारे पर CBI से कमजोर केश बनवाकर इस एंटोनिया के परिबारिक मित्र को भागने का मौका दिया।


हद तो तब हो गई जब इस गुलाम प्रधनमन्त्री ने एंटोनिया के मित्र इस भारत विरोधी के उपर से सब केश हटवा दिए ये कहकर कि इससे भारत की इज्जत खराब हो रही है।क्योंकि ये गुलाम गुलामी की सता के नशे में अपनी आका को ही भारकत मान बैठा है।


हम तो उस वक्त भी दंग रह गए जब राजीब जी के कातिल को इस अंग्रेज ने माफी की बात की क्योंकि ये जानती है कि बास्तविक कातिल कौन है।


अब आप खुद पढ़ लिजीए कि अखबार क्या लिख रहा है










रविवार, 30 मई 2010

सेकुलर गद्दारों की हिन्दू विरोधी निती का एक और नमूना

http://www.punjabkesari.in/Details.aspx?id=46231&boxid=28434906

अलगावाद व आतंकवाद की जड़ मक्का मदीना के लिए खैरात बांटने वाले देखो तो जरा किस तरह सर्वधर्मसम्भाव की प्रेरणास्त्रोत हिन्दूओं की आस्था में रोड़े अटका रहे हैं।

हम लगातार आपको प्रमाण दे रहे हैं कि किस तरह सेकुलर वेश में छुपे हिन्दूविरोधी चप्पे-चप्पे पर हिन्दूओं को लूटने पर तूले हैं।किस तरह वो धार्मिक यात्राओं पर जजिया लगाकर अपनी हिन्दूविरोधी मानसिकता का प्रमाण दे रहे हैं।

http://www.punjabkesari.in/Details.aspx?id=46232&boxid=132044638

शनिवार, 29 मई 2010

हिन्दू कौन?

आसिन्धु-सिन्धु पर्यन्ता यस्य भारत भूमिका


पितृ भू: पुन्यभूशचैव स वै हिन्दुरितिस्मृत:


अर्थात


सिन्धु के उदगम स्थान से समुद्र पर्यन्त


जो भारत भूमि है उसे जो पितृ-भूमि तथा


पुण्य-भूमि मानता है,वह हिन्दू कहलाता है।




अन्न जहां का--------हमने खाया


वस्त्र जहां के--------------हमने पहने


पानी जहां का-------------------हमने पिया


उसकी रक्षा कौन करेगा-----------हम करेंगे,हम करेंगे


देश की रक्षा कौन करेगा-------------------------हम करेंगे,हम करेंगे


गद्दारों व उनके समर्थकों का सर्वनाश कौन करेगा-----------------------------------------------------------------------------हम करेंगे ,हम करेंगे
साभार
शाखा पुस्तिका


शुक्रवार, 28 मई 2010

देखो सेकुलर गद्दारो तुम्हारे पाले हुए हरामजादे आतंकवादी किस तरह निर्दोश आम जनता का खून बहा रहे हैं आओ देसभक्तो मिलकर कालिख पोते इन आतंकवादियों के समर्थक सेकुलर गद्दारों के रक्त रंजित चेहरों पर।

सच कहें जब से हमने होश सम्भावाला है कभी लगातार एक वार भी एक सप्ताह ऐसा न गुजरा जिस दिन इन आतंकवादियों ने हमारे देश को लहुलुहान न किया हो ।
जब भी इन आतंकनवादियों (चाहे वो पाक समर्थक मुसलिम आतंकवादी हों या फिर चीन समर्थक आतंकवादी ने) भारत को लहुलुहान किया हमने देखा कि हर बार खुद को मानबाधिकारवादी व समाजिक कार्यकर्ता कहने वाले इन आतंकवादियों के समर्थकों ने सबके सामने टैलीविजन चैनलों पर बैठकर खुलकर इन आतंकवादियों की खूनी हरकतों को सही ठहराया ।
हर वार NDTV,IBN ,STAR NEWS ,AAJ TAK आदि चैनलों ने खुलकर इन आतंकवादियों के समर्थन में देश के शत्रुओं द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम आयोजित किए कई इन्हें अनपढ कभी गरीब व कभी हिन्दूओं के अत्याचारों का सिकार बताकर इनके खूनी खेल को जायज ठहराया। NDTV ने तो सारी हदें लांघते हुए हर तरह की मान मर्यादा को छोड़कर योजनाबद्ध तरीके से अपने कार्यक्रमों में एक देशभक्त को चार-चार गद्दारों के साथ विठाकर जनता के समाने इन आतंकवादियों का पक्ष कुछ इस तरह से रखा मानो जनता के असली मददगार ये आतंकवादी ही हैं।
हद तो तब हो गई जब इन गद्दारों ने आतंकवादियों द्वारा किए गए हर हमले के लिए सुरक्षावलों व देशभक्त संगठनों को दोशी ठहराकर आतंकवादियों के विरूद्ध उठने वाली हर आबाज को बदनाम कर दबाने की कोशिश की।जिसमें ये काफी हद तक सेकुलर सरकार बनने के बाद सफल हुए ।

जिसका परिणाम अब ये निकला कि आज आतंकवादी अपनी इच्छा अनुशार आम जनता व आम जनता की सुरक्षा में लगे सुऱक्षावलों को निशाना वनाकर निर्दोश लोगों का लहू बहा रहे हैं और जो लोग सता में हैं जिनके उपर आम लोगों की रक्षा की जिम्मेवारी है वो आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाए आतंकवादियों को मार गिराने वाले सैनिकों को जेलों में डाल रहे हैं न केवल सुरक्षावलों को वल्कि उन लोगों को भी जो इन राक्षसी आतंकवादियों के विरूद्ध वोल या लिख रहे हैं हो सकता है ये गद्दार कल हमें भी उठाकर जेल में डाल दें।
 लेकिन हम इन्हें वता देना चाहते हैं कि अगर देशभक्त हथियारबन्द लड़ाई लड़ रहे होते तो आज तक इन गद्दार नेताओं सहित एक भी आतंकवादी समर्थक बुद्धिजीवी(परजीवी) ,मानवाधिकार कार्यातकर्ता,पत्रकार,बलागर या फिर किसी और वेश में खुद को छुपाए आतंकवादियों के ठेकेदार या आतंकवादी को जिन्दा न छोड़ा जाता।


जरा ध्यान करो कि आज तक आतंकवादियों के विरोध में वोलने वाले गिर्फतार किए गए हिन्दूओं से कितना गोला बारूद बरामद किया गया या फिर जिन सैनिकों व पुलिस अधिकारकियों को उन आतंकवादियों को मारने के जुल्म में जेल में डाला गया जिन आतंकवादियों के पास दर्जनों एके 47 व हैंडगर्नेड हरामद किए गए। जरा सोचो ये गद्दार किस तरह एंटोनियो माईनो मारियो व दिगविजय सिंह के नेतृत्व में एक तरफ गृहमन्त्री को दबाब वनाकर माओवादी आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यावाही करने से रोक रहे हैं साथी ही अफजल जैसे मुसलिम आतंकवादी की सजा को माननीय सर्वोच न्यायलय के तीन वार दिए गए आदेश के वावजूद रोकर कर मुसलिम आतंकवादियों को भारत पर हमला करने के लिए समर्थन दे रहें हैं
इसके विपरीत ये किस तरह सैनिकों,पुलिस अधिकारियों , देसभक्तों,  साधु सन्तों को बदनाम कर जेल में डालकर झूठे आरोप लगाकर फांसी पर चढ़ाने के षडयन्त्र रच रहे हैं ।
इनका एक एक कदम चीख-चीख कर कह रहा है कि ये देश को आतंकवाद फैलाकर अस्थिर करने का षडयन्त्र रच रहे हैं। आतंकवादियों के पीछे वर वार विदेशी हाथ होने की तो हम बात करते रहते हैं पर हम ये भूल जाते हैं कि किस तरह हमारे अपने देश के ये सैकुलर गद्दार किसी भी विदेशी ताकत से अधिक लोजिस्टिक,नैतिक व आर्थिक सहायता इन पाक समर्थक मुसलिम आतंकवादियों व चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों को अपने देश के अन्दर हमारे अपने नीगरिकों व सैनिकों की वलि चढ़ाकर उपलब्ध करवा रहे हैं।


सारी स्थिति के लिए हम सब भी कम दोषी नहीं हम सीधे गद्दारों का नाम लेकर उनका पर्दाफाश कर देश को बचाने की इमानदार कोशिश करने के बजाए सारी की सारी ब्यबस्था व नेताओं पर हमला वोल देते हैं उस ब्यावस्था पर जिसके कमजोर होने का मतलब है आतंकवादियों के ताकतवर होना। आओ अभी भी वक्त है हम सब मिलकर इन आतंकवादियों के समर्थक नेताओं, बुद्दिजुवीयों, पत्रकारों, मिडीयाकर्मियों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओ की असलियत उनके नाम व काम जनता के सामने रखकर देश को इन आतंकवादियों व उनके समर्थकों से मुक्त करवाकर अपने देश के निर्दोश नागरिकों के जानमाल की रक्षा सुनिष्चित करें।


आज हम और कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम हम सिर्फ वोलकर ही इन गद्दारों का मुंह काला कर इनको जूतों की माला पहनायें। हम आशा करेंगे कि आपलोग अपनी टिप्णीयों के माध्यम से इन गद्दारों के नाम लिखकर इनका मुंह काला कर इनको जूतों की माल पहनायेंगे।


गुरुवार, 27 मई 2010

क्या लोकसंघर्ष,विस्फोट काम व लख़नऊ ब्लॉसगर्स असोसिएशन जबाब देगें।-2


आपसे हमने जो प्रश्न पूछे वेशक उनमें से बहुत से प्रश्नों का समाधान आपके पास नहीं न ही वो सब आपके कारण हो रहा है लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है कि आप लोग एक आक्रमक समुदाए से सबन्धित आतंकवादियों के भड़ाकाऊ व घृणा फैलाने वाले कामों का विरोध करने के बजाए उनके घृणा फैलाओ अभियान के परिणामसवारूप हिन्दूओं पर हुए सब हमलों का दोष हिन्दूओं व सुरक्षावलों के सिर मड़कर एक तरह से उनके द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद को खुला समर्थन दे रहे हैं।


• जिस तरह का लेख हिन्दूओं को अपमानित करने के लिए लख़नऊ ब्लॉजगर्स असोसिएशन पर लिखा गया अगर हिन्दू भी उस पर उसी तरह की प्रतिक्रिया करें जैसी मुसलमानों ने सिमोगा में की कई दिनों तक हिंसा फैलाकर व समाचार पत्रों के कार्यालयों को जलाकर की तो फिर परिणाम स्वारूप मारे गए हिन्दूओं और मुसलामानों के कत्ल के लिए क्या लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन जिम्मेवारी लेने को तैयार है?
भगवान न करे ऐसी कोई हिंसा हो लेकिन अगर होती है तो फिर इस वात की क्या गारंटी है कि लोकसंघर्ष,विस्फोट काम उस दंगे के लिए हिन्दूओं व सुरक्षावलों को जिम्मेवार ठहराकर मुसलमानों को अगले दंगे के लिए भड़काना शुरू कर देंगे?


• जिस तरह आप लोग गुजरात दंगो के लिए हिन्दूओं को शूली पर टांगने की बात कर रहे हैं अगर उसी तरह हिन्दू भी हिन्दूओं को जिन्दा जलाने वाले 2000 मुसलिम आतंकवादियों ( जो वास्तविक रूप से दंगों के असली गुनाहकार हैं ठीक उसी तरह जिस तरह अनवर जमाल और सलीमखान लगातार हिन्दूओं के आस्थ केन्द्रों पर हमला कर नए दंगे की भूमिका तैयार कर रहे हैं)को सूली पर टांगने के लिए अभियान शुरू कर दें जिन्होंने ट्रेन रोककर आग लगाई थी तो ?


• अगर विस्फोट काम वास्तब में मानबता की पक्षधर हैं तो 23 बर्ष पहले हुए मेरठ दंगों जिसके लिए भी मुसलिम आतंकवादी जिम्मेवार थे का दोष हिन्दूओं व सुरक्षावलों पर डालकर मुसलिम आतंकवादियों को फिर से दंगा भड़काने के लिए भूमिका तैयार करने का क्या मतलब ?
 सच्चाई पढ़ो जरा।


"The Beginning of the Tragedy


Large scale rioting began in the early hours of May 19, 1987 and the maximum damage was done just in course of a few hours. On that fateful morning, thousands of people, already incited by inflammatory speeches and slogans broadcast over public address system in mosques, barricaded the national highway, burnt 14 factories, hundreds of shops and houses, vehicles, and petrol pump, and cast scores of people into flames. The sporadic Hindu reaction was revengeful. Meerut continued in flames between May 19 and May 22, with murder, loot, explosions, and wild rumours further fuelling violence. "


• जिस तरह आप लोग हत्याओं की सालगिराह मनाने का चलन चला रहे हैं ठीक उसी चलन का पालन करते हुए अगर हिन्दू आज तक मुसलिम आतंकवादियों द्वारा की गई हिन्दूओं की हत्याओं की सालगिराह मनाना सुरू कर दें तो ? उसके परिमामस्वारूप पैदा हुए बातबरण की बजह से होने वाली हत्याओं के लिए क्या विस्फोट काम जिम्मेवारी लेने को तैयार है अगर नहीं तो फिर ऐसी उकसाने वाली कार्यवाही क्यों ?


• जिस तरह आप गुजरात दंगो में हुई कुल 1500 हत्याओं के लिए सीधे हिन्दूओं व सुरक्षावलों को जिम्मेवार ठहराते हैं क्या उसी तरह आपने कभी कशमीरघाटी में हुई 100000 मौतों व उजाड़े गए 500000 लोगों के लिए मुसलमानों व उनके सेकुलर नेताओं को कभी जिम्मेवार ठहराया क्या ?


• क्या आपने कभी सोचा कि क्यों वहीं पर दंगे होते हैं जहां पर हिन्दूओं की जनशंख्या कम होती है ?


• क्या आपने की सोचा कि अगर हिंसा हिन्दूओं ने फैलानी हो तो वो अपने बहुमत वाले क्षेत्रों में फैलायेंगे या फिर जहां वो कम हैं वहां पर ?


• आपको समझना चाहिए कि आज देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां हिन्दूओं की जनशंख्या 90% से अधिक होने के वावजूद गैर हिन्दू मुख्यामन्त्री हुए हैं क्या ऐसी ही कल्पना लगभग 50% हिन्दू अबादी वाले जम्मू कसमीर में हिन्दू मुख्यमन्त्री होने की कर सकते हैं?


• अगर हिन्दू और मुसलमान एक जैसे हिंसक होते तो क्या 80% हिन्दू अबादी वाले सारे भारत से मुसलामनों का सफाया उसी तरह न कर दिया जाता जिस तरह कशमीर घाटी व उतर पूर्व के कई राज्यों से हिन्दूओं का सफाया कर दिया गया ?


• क्या आपने आज तक कभी इस वात का विरोध किया कि बच्चों की छात्रवृतियों का आधार सांप्रदाए नहीं होना चाहिए जो कि इस सेकुलर सरकार द्वारा वना दिया गया?


• जिन बच्चों को आप सांप्रदाए के आधार पर बंचित करेंगे क्या वो कभी सर्वघर्मसम्भाव के रास्ते पर चल सकेंगे?


• देखो मेरे भाई आज फूट डालो और राज करो की निती अपने चर्म पर है तो क्या आपकी कलम इस फूट डालो और राज करो की निती के विरूद्ध नहीं चलनी चाहिए?


• अगर आप बास्तब में समझते हैं कि आतंकवादी सही हैं और सुरक्षाबल गलत तो फिर खुल के कहो न कि तुम आतंकवादियों के समर्थक हो फिर देखो जरा परिणाम क्या होता है?


• जब देश सेकुलर है तो फिर देश में धर्म आधारित पाठशालाओं व उनको सरकारी सहयता का क्या मतलब?


• जब देश सेकुलर है तो देश के मदरसों को आतंकवाद व अलगाववाद की जड़ साऊदी अरब से आर्थिक सहायता क्यों ?


• जब देश के मन्दिरों पर सरकार का कब्जा है तो फिर मसजिदें और चर्च सरकार के कब्जे में क्यों नहीं ?


• .. जिन लोगों को भारत की सभ्यता संस्कृति, सुरक्षावलों, नयाय प्रक्रिया व संविधान पर कोई भरोशा नहीं तो क्या उनको आतंकवादियों की पनागाह पाकिस्तान या चीन जाकर नहीं बस जाना चाहिए?














बुधवार, 26 मई 2010

क्या लोकसंघर्ष,विस्फोट काम व लख़नऊ ब्लॉएगर्स असोसिएशन जबाब देगें।-1

आप सब की तरह हम भी बहुत दिनों से देख रहे हैं कि ये तीनों गिरोह योजनाबध तरीके से सांप्रदायिक दंगो व आतंकवादी घटनाओं को अपने शब्द जाल से कुछ ऐसा मोड़ दे रहे हैं जिससे पढ़ने वालों को ये भ्रम हो जाए कि सांप्रदाय़िक व आतंकवादी घटनाओं के लिए सिर्फ और सिर्फ हिन्दू व सुरक्षाबल जिम्मेवार हैं ।ये तीनों गिरोह हर घटना के को पेश करते वक्त कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो शायद आम भारतीय कभी हत्यारी पाकिस्तानी सेना व पाकसमर्थक आतंकवादियों या चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों के लिए भी न करे। चिन्ता की बात तो यह है कि ये गिरोह पाकिसतान समर्थक व चीन समर्थक दोनों तरह के आतंकवादियों के ऐजेंटों के रूप में काम करते हुए प्रतीत होते हैं। अगर आप इनके लेखों का ध्यान से विशलेषण करें तो आप पायेंगे कि इनके हर लेख का एक ही उद्देश्य होता है वो है भारतीय सुरक्षावलों ,हिन्दूओं पर हर दोष थोपकर आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाना । आतंकवादियों को निर्दोष,अनपढ़ व सताया हुआ बताकर भारत की फिजा में जहर घोलकर आतंकवादियों को हिन्दूओं व सुरक्षावलों पर हमले तेज करने के लिए उकसाना।यह वही काम है जो आतंकवादियों के हाथों विक चुका इलैकट्रानिक मिडीया लगातार करता आ रहा है।हम चाहेंगे कि ये तीनो गिरोह हमारे द्वारा दिए जा रहे कुछ समान्या प्रश्नों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ये जरूर बयायें कि सुरक्षावलों व हिन्दूओं से इनके द्वेश की असल बजह क्या है?


• जब भारत सेकुलर देश है तो फिर कानून सांप्रदाए के आधार पर क्यों?


• जब संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की मनाही करता है तो फिर मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग क्यों ?


• जब भारत धर्म आधारित राज्य नहीं तो फिर अलपसंख्यकवाद का नारा क्यों?


• अगर गुजरात में आतंकवादियों द्वारा हिन्दूओं को जिन्दा न जलाया जाता तो गुजरात में दंगे होते क्या?


• जब मक्का मदीना के लिए प्रति मुसलमान 60000 रूपए की सहायता सरकार देती है तो फिर हिन्दूओं की धार्मिक यात्राओं(बाबा अमरनाथ गुफा यात्रा,महाकुंभ यात्रा...) पर विशेष टैक्स क्यों?


• जब आतंकवादियों द्वार लगातार देश को लहुलुहान किया जा रहा है तो फिर उनके मानबधिकारों का रोना क्यों?


• क्या आम जनता व आम जनता की सुरक्षा के लिए लड़ रहे सुरक्षावलों के कोई मानबाधिकार नहीं?


• जब आप बार-बार कहते हैं कि हमारी न्यायप्रक्रिया कमजोर है तो फिर आम जनता के जानमाल को खतरे में डालने वाले आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने पर हाए-तौवा क्यों?


• जब आपलोग भारत माता व हिन्दू देवीदेवताओं का अपमान करने वाले एम एफ हुसैन का समर्थन करते हैं तो फिर हजरत मुहम्मद का अपमान करने वाले डैनिस कलाकार का विरोध क्यों?


• जब अधिकतर दंगे मुसलिमबहुल क्षेत्रों में आतंकवादियों द्वारा शुरू किए जाते हैं तो फिर उनका दोष हिन्दूओं पर क्यों?


• जब संविधान हर नागरिक को अपनी रक्षा करने का अधिकार देता है तो फिर आतंकवादियों द्वारा हमला किए जाने पर हिन्दूओं द्वारा इस संबैधानिक अधिकार का प्रयोग करने पर आपको आपती क्यों?


• जब आपको भारत की सभ्यता संस्कृति,सुरक्षावलों,नयाय प्रक्रिया व संविधान पर कोई भरोशा नहीं तो फिर आपको आतंकवादियों की पनागाह पाकिस्तान या चीन जाकर बसने पर दिक्कत क्या?










मंगलवार, 25 मई 2010

गोदियाल जी हमें आपकी कलम से डॉ. अतुल कुमार जी के इस लेख पर अपनों को जागरूक कर देने वाली रचना चाहिए खाशकर भटकों को। क्या आप दे सकेगें।



देखो गोदियाल जी हम आपकी कलम के कायल हैं यही बजह है कि ये लेख जो हमें जागरूकता से सबन्ध रखने वाला लगा पर आपकी गर्मागर्म रचना की जरूरत महसूस हुई।उम्मीद है सबके सामने मांगने का बुरा नहीं मानेंगे आप।


आप सब से हम सिर्फ यही चाहते हैं कि आप धैर्य से अपने कीमती वक्त से कुछ पल निकाल कर इस लेख को पढें।अन्त में बस इतना ही कहेंगे कि ये लेख डॉ. अतुल कुमार जी का है ।हमें लगा कि हमारी तरह आपको भी ये पसन्द आएगा।इसलिए आप तक पहुंचा रहे हैं।
"हिन्दु संसकृति को समझने और सुरक्षा करने की जरूरत"
भारत की मूल सभ्यता आर्य- द्रविड़ या सिन्धु घाटी की है जो आधुनिक काल में हिन्दु कहलायी। जाति प्रथा इसी हजारों सालों पुरानी सभ्यता सनातन धर्म की पहचान है, जिसका मूल आधार वर्ण व्यवस्था है। मनुवादी वर्ण-व्यवस्था ने समय के काल में वशंवादी स्वरूप ले लिया। यद्यपि जन्मगत स्वरूप में सभी शूद्र हैं यह कई स्थानों में उल्लेखित है। बाद में ही वो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य होता था। वंशगत पहचान जन्मगत थी जबकि वर्ण जाति-व्यवस्था का आलम्ब कर्म आधारित था पर शनैः शनैः यह भी जन्मगत् हो गया। उचित तो यही था, जाति का अर्थ कर्म से ही रहना चाहिए था पर कटु सत्य है ऐसा नहीं बना रहा। फिर जातियों में ऊँच-नीच आ गई। जन्म से ऊँच नीच को माना जाना गलत ही है। बनते बदलते समाज की पहचान में जातिगत खामियों के कारण हल्कापन आया। हर दौर में समाज कमियों के साथ जीता है और सुधार पर ही स्थायित्व संभव है। हिन्दु-सभ्यता के लिए विकास की पौड़ी पर अनवरत चलते रहना कैसे संभव हुआ? इसे समझे जाने बगैर गीदड़ों की हुआऽ हुआऽ की भातिं जाति छोड़ो का नारा जोर से लगाया जा रहा है। बदलाव के साथ बढ़ता है। कोई इसका अपवाद नहीं। जातिगत तौर के समाजिक ढ़ांचें में भी कमियां निश्चित ही है। दुःर्भाग्य से हिन्दु समाज मंआ जातिगत् दुर्भावना के बीज कदाचित चंद स्वार्थी तत्वों द्वारा करा दिये गये। आज के दौर में तो छोटी बड़ी जाति की बात निरर्थक हो गयी है। पर क्या जाति बंधन के दूसरे मायने भी?? यह बारीकी से और गहराई से सोचने का विषय है। इसी तरह गोत्र में समाज के वर्गीकरण का कारण भी खोज का विषय है। कितने राजनेता, सामाजिक कार्यकर्त्ता, प्रशासक या पत्रकार जीव वैज्ञानिकों की इस जानकारी से संज्ञान रखते है कि निकट संबधों में वैवाहीक संबध रूग्ण और विकृत संतति को जन्म देने की बलवती संभावना रखती है। वर्तमान में भी निकटम रक्त संबधों के विवाह रूग्ण-मंद बुद्धि की संतान को अधिक जन्म दे रहे हैं, जाँचे! यह सच है। रक्त-संघ व जीन की खोज को तो पचास साल भी नहीं हुए मगर ऋषि मनीषियों ने किसी आधार पर ही स्वस्थ्य वैवाहिक संबधों के संभावना के आकलन को कर पाना संभव कर लिया। सगोत्र व प्रतिलोम विवाह क्यों वर्जित किया? विस्मृत हुए पूर्वजों के अनूठे ज्ञान को स्वीकार्य तर्क और उचित साक्ष्य के साथ आज की हिन्दु पीढ़ी के लिए संभव नहीं हुआ पर क्या वास्तिविकता बदल जाएगी।


दोपायों के साथ त्रासदी है कि अन्य जीवों की भांति अर्जित ज्ञान को गर्भ में ही वंशजों में निरूपित कर सकें। मगर सत्य यह भी तो हो कि विरोधी वर्ग ने भी बिना उचित तर्क के और असल में जाति मिटाने के बहाने सभ्यता-संस्कृति मिटाने का चतुर शड्यंत्र रचा हो। नेता व मंत्री की उपस्थिति में सरस्वती-वदंना का विरोध तो कहीं गृहमत्रीं के समक्ष वन्देमातरम् पर फतवा, यह अंतर को तार तार करता है। औेर इससे भी आगे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते है आधे भाग रह कर भारतवर्ष का जो भाग हिन्दुस्तान के नाम हिन्दुओं को मिला उसके भी संसाधनों पर मुसलमानों का हक पहले है। अब वह दिन दूर नहीं कि जनगणमन का विरोध भी किसी कार्यक्रम में होगा। किस लाभ के लिए देश और संस्कृति मिटाने का काम सरकार कर रही हैं? रगें सियार जैसे ये सुधार के पैरोकार कैसे कैसे विनाशकारी विचार फैलाते हैं। दुःख की बात हैं, सरकार का प्राचीन परंम्पराओं के संरक्षण में कोई कारगर कदम नहीं। बिना विवेचना के नवीनता के नाम पर बदलाव के बहाने, बर्बादी के तमाम रास्ते पढ़ाये जा रहे है। क्या परिर्वतन ला देगें? आज प्रेमविवाह कल तलाक! बिन ब्याही माँ व बिन ब्याहे संबध¬-कौन सा समाज बनेगा? सबसे अजब तो निर्णय सठियाए साल में कांग्रेस राज में मिला। घिन आती है जिक्री तक करने में। विवाह सामाजिक मान्यता प्राप्त स्त्री पुरुष के सह स्वीकार्यता का निजी संबध रहा है। विवाह का संतिति से वंश के विस्तार का संबध रहा है। प्रकृति ने सभी को कुछ विभिन्नता के साथ जना है। प्रकृति ने मानव को उभयलिगीं जीवस्वरुप दिया है। जीवता वास्ते संतति ही प्रकृति की स्वीकृति है। कामुकता की प्रवृति से अप्राकृतिक वर्ताव मानसिक विकृति मात्र है, विकास नहीं, स्वतंत्रता नहीं, अधिकार नहीं। हिन्दुस्तान- पाकिस्तान में विभाजन के बाद भी हिन्दुओं को मिटाये जाने के कई तरह के प्रपंचों से आये दिन आर्यसन्तानें दो चार हो रही है। हिन्दी भुलाकर एवं हिन्दु धर्मावलम्बीयों को रीतियों से दूर कर, भ्रमित छवि दे संस्कृति को मिटा सके ताकि हिन्दुस्तान मिट सके। यह तो दैवयोग ही है कि अभी तक हिन्दु बचा हुआ है।


दसियों हजार सालों के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ कि आर्यावत निवासियों ने किसी पर अधिकार वास्ते आक्रमण किया। जम्बूद्वीप से हिन्दुस्तान बनने तक की प्रक्रिया में भारतवर्ष के इतिहास में कई करवटें ली। सोने की चिड़िया ने आर्दश और अपने खुद के तय मानवतावादी मापदण्ड और नियमों के पालन करते हुए सामरिक शक्ति को अनदेखा कर दिया। असामाजिक तत्व, मक्कार मानसिकता ले समाज-सागर से किनारा कर दूर धूर्त बगुले की भांति बैठे हैं। सरल, सहज सोच के भले लोगों को इंसानी चेहरे का मुखैटा लिये शैतान के नुमांइदे मौका पाते ही तुरंत नोच खाते है। ऐसे दुष्टों ने इस सभ्यता पर अधिकार या मिटाने की चाहत से समय के काल में कई आक्रमण किये। दुनिया के लालची और कपटी खुराफातीयों ने बदनीयत से हमले किये। हूण, शक, मुंड, किरात, यवन, मगोंल, मुगल, डच, पुर्तगीज, अग्रेंज, फ्रेंच और भी ना जाने कितने लुटेरों के अनगिनत वार सहकर भी अपनी पहचान बनाये रखी। अब भी मध्यदुनिया व पश्चिम, धरा में देवतुल्य मूलतः आर्य-द्रविड़ वंशज समाज को मिटाने की ख्वाहीश लिये है।


सच है! सौलहआने समानता तो कहीं नहीं है। विभिन्नता भारत की व्यापक पहचान है। भारत की एकल विशिष्टता विभिन्नता में एकता है। पूरा विश्व इस गुण से चकित है। अलग-अलग विचार, रूचि, पंरम्परा, आस्था, दृष्टिकोण के बावजूद भी सब एक परिवार की तरह रहते है। जलकुटे देश, उसके गिरे निवासी इसे जब्त नहीं कर पाते। हमारा कभी किसी से झगड़ा नहीं रहा, फिर भी घटिया लोग पीछे पड़े रहते हैं। रूक-रूक वो शड़यंत्र कर कुटील चालें चल चोट पहंुचातें हैं। जो अक्सर विफल रहीं है। पर, आक्रांताओं के स्तर से भी ज्यादा समाज को चोट वर्णव्यवस्था में उपजी बडे छोटे की भावना ने किया। हां! यह हुआ है कि इन आक्रांताओं के बनस्पत बदलाव आये तथापि मूलस्वरूप बना रहा। मिटा ना सके। समाज और देश का दुश्मन सामरिक हो या वैचारिक दोनों ही भयानक खतरनाक है।


भारत का अर्थ है आभा से आलोकित करने वाला। ज्ञान से सर्वदा आलोकित राष्ट्र ने विश्वगुरू का पद पाया। राम, कृष्ण, बुद्ध, जैन, जनक, सूरदास, तुलसीदास, रैदास, कबीर, नानक, शंकराचार्य, गुरुगोविंद, स्वामी विवेकानंद और भी न जाने कितने लाखों करोड़ों सूफी-सतों-अवधूतों विभूतियों ने समय-समय पर अज्ञानता का अंधकार दूर कर जग को आलोकित किया। कुछ इसी तरह आज के सुधारवादी विचारकों को यह चाहिये कि जातिगत दुंर्भावना को मिटाये जाने का प्रयास हो। अलग जातियों के लोगों में आपसी कलह मिटे। जाति आरक्षण करके आपसी घृणा बढ़ेगी। नौकरी हो या रोजगार सभी को मिले। कोई भी वचिंत न रहे। सभी को योग्य बनाऐं। इस लक्ष्य पर कार्य करने में क्या रूकावट है? कब हासिल होगा? जातिगणना कर के यह हासिल नहीं होगा। वोट बैंक के लालच लिए निर्णय न लिए जाऐं। उचित निर्णयों पर चलें। सभी अपनी जाति से गर्व और प्रेम करें व जितना वो अपनी जाति का मान और लगाव करते हैं उतना ही दूसरी जाति को भी सम्मान और प्यार दें ताकि जातिगत संतुलन भी बना रहे और आपसी घृणा खत्म हो। समाज सुधारकों का कर्तव्य समाज निर्माण और संरक्षण है।आओ खुद जागरूक होकर व औरों को जागरूक कर दोषमुक्त समाज बनाकर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ें ।


लेखक
डॉ. अतुल कुमार जी
http://www.vicharmimansa.com/


















सोमवार, 24 मई 2010

बलागर्स समेलन का सबसे ज्यादा नुकशान हमें ही उठाना पड़ा।आगर आप चाहें तो टिप्पणी कर पूरा कर सकते हैं।

आपको शायद ये सोचकर आच्मभा हुआ होगा कि बलागर्स मिलन से किसी का क्या नुकसान हो सकता है पर यह सच है एक तो हमारे लेख गणित के प्रभाव के कारण सीधे सपाट होते हैं और दूसरे इन्हें छापने वाला कोई नहीं मिलता किसी ने हौसला कर छाप ही दिया तो इस ब्लागर्स मिलन की बजह से, जिन्हें पढना था वो पढ़ नहीं पाए ,इसलिए उम्मीद करते हैं कि आप वन्देमातरम् पत्रिका में छपा हमार ये लेख देशभक्त कांग्रसियों के नाम खुला पत्र पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे जी।

रविवार, 23 मई 2010

Happy Draw Muhammad Day!

Happy Draw Muhammad Day!




वेशक मुसलमान और इसाई हमारे आस्था के केन्द्रों का अपमान करते रहें पर हिन्दू होने के नाते हमें ये सब अच्छा नहीं लगता।वेशक वो भारतमाता व हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने वाले MF HUSSAIN का समर्थन करें पर हम इन सब वातों ता समर्थन नहीं कर सकते

अभी कुछ देर पहले हमें ये मेल आया कि हम Happy Draw Muhammad Day! का विरोध करें इसलिए हमने आपको ये वताने के लिए कि जैसे ही हमने Happy Draw Muhammad Day सर्च में डाला तो अल्लहा की ऐसी- ऐसी फिल्में देखने को मिली कि हम दंग रह गए ।हमें ये अच्छा नहीं लगा आप भी हमार समर्थन करें। आपको।हां आप भी हमारी तरह सर्च करने की कोशिश कदापि न करने नहीं तो ...



जिस इसाई ने भी ये सब किया जरूर वो  अनवर जमाल,सलीम खान,समीर अबास  जैसी मानसिकात रखता होगा पर हम फिर भी इसका समर्थन नहीं करेंगे।आप भी मत करना।
हां विरोध के लिए एक लेख जरूर लिखना



वाराणसी से निकलने वाली सच्चाई की पहरेदार पत्रिका में छपे हमारे देशभक्त कांग्रेसियों के नाम संदेश पर आपकी राय का हमें वेशव्री से इन्तजार रहेगा जी। देखो निशा मत करना जी।

आप नहीं समझ सकते कि आपकी राय हमारी सोच व जिन्दगी को किस तरह प्रभावित करती है।हम जानते हैं कि अत्याचारों और भेदभाव से त्रस्त होकर इनसान कुछ ऐसा कर गुजरता है जो उसकी प्रवृति का हिस्सा नहीं होता।हिन्दू आज जिस दौर से गुजर रहा है वो निहायत ही खतरनाक दौर है अगर तिरसकार व अपमान से ग्रस्त हिन्दू को आज न संभाला गया तो देश में वो तांडव होगा जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं होगी।क्योंकि जो सेकुलर गिरोह मुठीभर मुसलिम आतंकवादियों व माओवादी आतंकवादियों के आगे नतमस्तक है वो भला हिन्दूओं के प्रतिशोध से पैदा हुई क्रांति का सामना करने की सोच भी कैसे सकता है?समाधान एक ही है कि ततकाल सब सांप्रदाए अधारित नियम रद्द कर भारतीयों के लिए नियम वनाकर कानून के सामने व देश के संसाधनों पर हिन्दूओं के समान अधिकार बहाल किए जायें या फिर हिन्दूओं के शत्रु व देश के गद्दार उस तांडब का सामना करने के लिए तैयार हो जायें जो गद्दारों का देश से नमोनिशान मटाकर रख देगा। वक्त है सम्भल जाओ!

शुक्रवार, 21 मई 2010

किस तरह होते हैं मुसलमानों पर अत्याचार आओ जरा वानगी भर देखें?क्या आप समाधान बताओगे?

पिछले रविवार को हम शुबह शुबह वाराणशी पहुंच गए वो भी नइ सड़क रोड़ पर।वहां पर जो हुआ उसे देख कर हमें ज्यादा हैरानी नहीं हुई शायद आपको भी न हो क्योंकि अब तो ये बात अब सारे देश में हर खाली पड़ी जगह ,चौराहे व सड़क पर आम हो गई है।


हमने सुना था कि वाराणसी गंगा-जमुनी संसकृति का प्रतीक है जिसे मुसलिम भाईयों ने हर कुर्वानी लेकर जिन्दा रखा है अभी हाल ही में इन मुसलिम भाईयों ने हनुमान मन्दिर की कुर्वानी लेकर इसी गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाने का अपनी तरफ से एक बड़ा प्रयास किया।जो कसर रह गई थी उसे मुसलिम भाईयों ने बंगलादेशीयों के साथ मिलकर हर सड़क किनारे,चौराहे व भीड़भाड़ वाली जगह की कुर्वानी ली उस पर अपने आसियाने व दुकानें खोलकर वो भी इसी तहजीब की खातिर।ये काम मुसलामन सिर्फ काशी में ही थोड़े कर रहे हैं सारे भारत में पूरी लगन से ये अपने इस काम को जाम दे रहे हैं। लोग इसे नजायज कब्जा बताते हैं,हम कहते हैं कि जब प्रधानमन्त्री मनमोहनखान कह चुके हैं कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है तो फिर नजायज कब्जा कैसा।जो लोग इसे नजायज कब्जा बताते हैं उन्हे सरियत व संविधान की जानकारी नहीं।आखिर संविधान ने ही तो मुसलमानों को शरीयत व कुरान शरीफ का पालन करते हुए चार-चार शादियां कर 30-40 बच्चे पैदा करने का अधिकार दिया है।अब जब ये संविधान के अनुसार जीबन जी कर देश से इतनी छोटी सी कुर्वानी ले रहे हैं तो फिर इनके बच्चों के पालन पोषण व रोजगार की जिम्मेदारी भी संविधान वोले तो देश वोले तो हिन्दूओं की ही हुई न ।अब जब उन्होंने देश की कुर्वानी लेने की खातिर(कशमीर समेत चार हिस्सों पहले ही ले चुके हैं) इन बच्चों को पालने के लिए सड़क पर कब्जा कर अपने आसियाने व दुकानें बना ली तो फिर प्रसासन को तो इन्हें विजली पानी उपलब्ध करवाने की ब्यबस्था करनी चाहिए थी सड़क तो है ही । बैसे भी आप बताओ कि सड़कों पर पूंजीवादियों के बाहन चलाने जरूरी हैं या फिर इन बेचारे गरीबों का भरण-पोषण व आसियाना बनाना। शुबह-शुबह जब हमने देखा कि ये वेचारे अपने आसियाने की रक्षा के लिए जब पुलिस पर सिर्फ पत्थर ही बरसा रहे थे तो पुलिस ने इन पर फूल वरसाने के बजाए लाठी चार्ज कर दिया। हमें एकदम एहसास हो गया कि पुलिस सांप्रदायिक ताकतों वोले तो वीएसपी वोले तो हिन्दूओं के इसारे पर काम कर रही हैं ।अगर पुलिस इसी तरह इन्हे सड़कों ,चौराहों व हिन्दूओं की जमीनों पर कब्जा करने से रोकेगी तो भला कौन मुसलमान या सेकुलर हिन्दू ये सब बरदाश कर पाएगा।जिस दिन मनमोहन खान को ये पता चला कि पुलिस ने इन वेचारे मुसलिम भाईयों के साथ ऐसा सलूक किया है उस दिन वो 36 हॉंडग्रनेड व 12 AK47 रखने वाले वेचारे मुसलिम भाई सोराबुद्दीन को मारने वाले गुजरात के पुलिस अधिकारियों की तरह इन्हें भी जेल में डाल देंगे CBI वोले तो कांग्रेस ब्यूरो आफ इनवेसटीगेशन का उपयोग कर।तब होश ठिकाने आयेंगे इस सांप्रदायिक मुख्यामन्त्री के।
विसवास नहीं होता हमारी बातों पर तो कशमीर में काम करने वाले सैनिकों के हालात देख लो कि किस तरह मुसलिम आक्रमणकारियों को सैनिकों से बचाने के लिए मनमोहनखान सरकार ने सैनिकों के हाथ पीछे बांधकर उन्हें इन आक्रमणकारियों से लड़ने की खुली छूट दे दी है ये सब पहले गांव मुहले में होता था कि जब दो लोगों की लड़ाई होती थी तो शातिर बदमाश अपने विरोधी के हाथ पकड़ कर चिल्लाने लगता था लडाई नहीं करनी है लड़ाई नहीं करनी है साथ ही दोस्त को इसारा कर देता था कि बना के ठोको इसे।इस सब के परिणामस्वारू आजकल कशमीर घाटी में शहीद होने वाले सैनिकों की शंख्या कई गुना बढ़ गई है फिर भी अगर कोई मुसलिम आतंकवादी सोनिकों द्वारा मार दिया जाता है तो उसे आम मुसलमान बताकर मारने वाले सैनिक को उस पुलिस के हवाले कर दिया जाता है जो खुद मुसलिम आतंकवादियों से भरी पड़ी है।


उपर से सारे सेकुलर गिरोह (मिडीया सहित )द्वारा ये प्रपेगंडा कि मुसलमानों पर अत्याचार किए जा रहे हैं।


अब आप खुद फैसला कर लो कि कौन किस पर अत्याचार कर रहा है और समाधान क्या है?






गुरुवार, 20 मई 2010

जब मनमोहन जी ने साऊदी सुलतान से हिन्दूओं का नमोनिशान मिटाने का बायदा कर डाला। वारणशी से निकलने वाली पत्रिका में छपा हमारा ये लेख आपकी प्रतिक्रिया के इन्तजार में !

हमारा ये लेख वाराणसी से निकलने वाली  देशभक्त पत्रिका वन्देमातरम में छापा गया।सबसे पहले तो हम इस पत्रिका प्रबन्धकों के इस बात के अभारी हैं कि उन्होंने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों पर लिखे गए इस लेख को छापने का साहस दिखाया वो भी अक्षरशह।अगर आपने भी भरातविरोधी षडयन्त्रों पर कुछ लिखा है तो आप भी उन्हें भेज सकते हैं हमारा विस्वास है कि देशहित की हर बात को छापने का मादा रखती है ये पत्रिका(http://vandemataramvaranshi.blogspot.com/
ज्यादा न लिखते आओ प्रसतुत है आपको अपना ये लेख।
मनमोहन खान की साऊदी अरब यात्रा के वारे में जानकर अपनी राए देकर पसंद का चटका लगाकर हमारे इरदों व कलम को ताकत देना न भूलें जी।

प्रधानमंत्री मनमोहन खान द्वारा भारत के इस्लामीकरण को आगे बढ़ाने के लिए जिहादी आतंकवाद के जनक सौदी अरब की यात्रा मुसलिम क्रांतिकारियों की भारत को देन फरबरी 2010 के अंतिम दिनों में भारत-विरोधी भारत सरकार के एंटोनियोमाईनोमारियो के गुलाम प्रधानमंत्री द्वारा सौदीअरब की यात्रा की गइ। जिसका मूल उद्देशया था भारत के इस्लामीकरण के लिए इस्लामिक आतंकवाद के जनक व पोषक सौदी अरब को भारत-विरोधी भारत सरकार(2004-2010) द्वारा उठाये गए कदमों की जानकारी देना व भविष्या में उठाये जाने बाले कदमों के बारे में आदेश प्राप्त करना। प्रधानमंत्री ने सौदीअरब के सुलतान को बताया कि उन्होंने भारत के हिन्दूओं को बता दिया है कि मर्यादापुर्षोत्तम राम और कृष्ण कालपनिक हैं व हिन्दूओं की धार्मिक और अध्यात्मिक पुस्तकें भी काल्पनिक हैं ।इसलिए भारतीय धर्म और संस्कृति बोले तो हिन्दू संस्कृति का कोई अस्तित्व नहीं है। हिन्दूओं को इसी बात का एहसाह करवाने के लिए हमने रामसेतू को तोड़ने का हर सम्भव प्रयास किया। लेकिन क्या करें तोड़ने के लिए लाई गई मसीनें ही टूट गईं नहीं तो हमने अदालत का फैसला आने से पहले ही उसे तोड़ देना था। सुलतान जी आप चिंता न करें भारत में बहुत जल्दी सब अदालतों में आपको 100प्रतिशत वकील मुसलिम क्रांतिकारी ही नजर आयेंगे।फिर फैसले भी मुसलिम क्रांतिकारियों की इच्छा अनुसार ही आयेंगे। हिन्दूओं को जलील करने के लिए हमने पहले बाब अमरनाथ यात्रा के लिए जमीन दी और फिर वापिस ले ली। जिसके बाद ये हिन्दू आतंकवादी 71 दिनों तक छाती पिटते रहे पर हमने एक ना सुनी हमने इन हिन्दू आतंकवादियों को देखते ही गोली मारने के आदेश तक दे दिए।इस अन्दोलन में महौल बनाने बाले हिन्दू आतंकवादी दयानन्द पांडे को हमने जूठे आरेप लगाकर जेल में डाल दिया व उसका चरित्र हनन करने का हरसम्भव प्रयास किया । आगे उन्होंने सुलतान को बताया कि भारत के हिन्दूओं को बता दिया गया है कि भारत के संस्साधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है मुसलमानों के इसी अधिकार को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर मुसलिमबहुल जिलों का विकाश करने का निर्णय किया है इसलिए हिन्दूओं को ये संकेत दे दिया गया है कि अगर वो हिन्दूबहुल जिलों का विकास चाहते हैं तो वो जिहादी क्रांतिकारीयों व लब जिहाद का साथ देकर अपने जिलों को मुसलिमबहुल बनायें व सरकार से इनाम के तौर पर विकास पायें । लब जिहाद को सबसे अधिक सफलता केरल राज्या में मिलती हुई दिखाई दे रही है पर कुछ हिन्दू आतंकवादी इस लब जिहाद का विरोध कर रहे हैं इन हिन्दू आतंकवादियों ने लब जिहाद के विस्तार में रोड़े अटकाने के लिए केरल उच्च न्यायलय में मुक्दमें दर्ज करवा दिए हैं।इन्हीं मुकदमों को ध्यान में रखते हुए हमने केरल उच्च न्यायलय में केन्द्र सरकार की ओर से 100 प्रतिसत एडवोकेट मुसलिम नियुक्त किए हैं ताकि कोई हिन्दू आतंकवादी एडवोकेट इस लब जिहाद के मार्ग में रूकाबट न डाल सके। बैसे वहां 1998 में कोयबटूर में हिन्दू आतंकवादी अडबानी द्वारा किए जा रहे हिन्दू आतंकवादियों के जलसे में बम्म फैंकने बाले मुसलिम जिहादी क्रांतिकारी मदनी का भी तो केश चल रहा है ।हमारे इस 100 प्रतिसत मुसलिम वकील नियुक्त करने बाले फैसले से मदनी जी को छुड़ानें में भी सहायता मिलेगी। हमने हिन्दूओं को उनकी औकात बताने के लिए ही अपनी सरकार के बजट को सांप्रदाचिक आधार पर बांट दिया। यही नहीं हमने बच्चों को मिलने वाली छात्रवृति तक को सांप्रदायिक आधार पर बांट कर छात्रवृतियों के एक बड़े हिस्से से हिन्दूओं के बच्चों को वंचित कर दिया।हमने हिन्दूओं को नोकरियों से बंचित करने के लिए मुसलमानों को आरक्षण की बात आगे बढ़ाई जिसे अदालतों ने रोकने की कोशिस की इसका समाधान भी हमें 100प्रतिसत मुसलिम वकील ही दिखाई देते हैं जिसका प्रयोग हम केरल से शुरू कर हे हैं। प्रधानमंत्री मनमोनखान ने सुलतान जी को आगे बताया कि हमने ये स्वांए महसूस किया कि देश के इस्लामीकरम में हिन्दूबहुल भारतीय सेना रूकावट पैदा कर सकती है इसीलिए हमने सेना में मुसलमानों की गिनती के बहाने मुसलिम क्रांतिकारियों की संख्या बढ़ाने का प्रयत्न किया जिसे सेना ने नकार दिया। सेना की इसी मुसलिमविरोदी हरकत का जबाव देने के लिए हमने मुसलिम क्रांतिकारियों की जासूसी करने वाले हिन्दू आतंकवादी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को झूठे कोसों में फंसाकर जेल में डलबा दिया।हमारे पास कोई प्रमाण तो था नहीं इसीलिए हमने उस पर झूठे केस बनाकर मकोका लगवा दिया जिसे बाद में मकोका अदालत ने खारिज कर दिया क्योंकि वहाँ पर वकील हिन्दू आतंकवादी ही था।फिर भी हमने उसे जेल से नहीं छोड़ा ताकि हिन्दू आतंकवादियों का हौंसला न बढ़े।अदालतों में 100 प्रतिशत मुसलिम वकील रखने का निर्णय लेने के पीछे यह भी एक कारण रहा।हमने भारतीय सुरक्षाबलों में बड़े सतर पर मुसलिम क्रांतिकारियों की भरती शुरू कर दी है सच्चर कमेटी हमने इसी उदेशय के लिए बनाई थी ताकि हिन्दूओं के हकों को छीन कर मुसलमानों को देने में आसानी रहे । प्रधानमंत्री मनमोनखान ने सुलतान जी को आगे बताया कि हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार करने वाली हिन्दू आतंकवादी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रोतों-रात उठवाकर उसके साथ वही ब्याबहार किया जो कि हिन्दूओं के साथ एक मुसलिम देश में हो सकता है। प्रधानमंत्री मनमोनखान ने सुलतान जी को आगे बताया कि हमें मालूम है कि आर एस एस जैसे हिन्दू आतंकवादी संगठन आगे चलकर भारत के इस्लामीकरण में रूकाबटें पैदा कर सकते हैं इसीलिए हमने कर्नल पुरोहित के मामले में उन्हें लपेट कर बदनाम कर उनपर प्रतिबन्ध लगाने की कोशिस की लेकिन हमारे हाथ इसलिए बन्ध गए क्योंकि उसमें अबदुलकलाम का भी नाम आ गया बरना आज तक इन सब संगठनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया होता। प्रधानमंत्री ने सौदीअरब के सुलतान को बताया कि हमने मुसलिम क्रांतिकारी अफजल को सर्वोच नयायालय के आदेश के बाबजूद फांसी पर नहीं लटकाया क्योंकि अफजल जैसे क्रांतिकारी ही हमारी ताकत हैं क्योंकि इन्हीं क्रांतिकारियों से प्रेरणा पाकर भारत का हर मुसलमान हथियार उठाकर हिन्दूओं का सारे भारत से उसी तरह सफाया करेगा जिस तरह हमारे मित्रों ने कश्मीघाटी से किया । अपने इसी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए हमने कशमीरी क्रांतिकारियों को भारत बुलाया व बटाला हाऊस में हमला करने बाले क्रांतिकारियों पर मकोका नहीं लगाया क्योंकि ये मकोका तो हमने हिन्दू आतंकवादियों के लिए बनए रखा है बरना आज तक हम इसे पोटा की तरह समाप्त कर चुके होते। हमें लगा कि गुजरात की सरकार गुजकोका के माध्यम से जिहादी क्रांतिकारियों के काम पर रोक लगा सकती है इसीलिए हमनें विधानसभा द्वार चार बार पारित किए गए गुजकोका को मंजूरी नहीं दी क्योंकि हम नहीं चाहते कि किसी हालात में भारत के इस्लामीकरण की गति धीमी पढ़े। हमने ये निर्णय कर लिया है कि जो कोई भी भारत के इस्लामीकरम में रूकाबट पैदा करने की कोशिश करेगा उसे हम आतंकवादी करार देकर जेल में डाल देंगे अगर वे साधु सन्त हुआ तो उसका चरित्र हनन करेंगे। प्रधानमंत्री ने सौदीअरब के सुलतान को बताया कि हमने सर्वोच न्यालय के आदेस के बाबजूद बंगलादेशी मुसलिम क्रांतिकारियों को देश से बाहर नहीं निकाली वल्कि कानून में फेरबदल कर इनके लिए आसाम में रहना और सुविधाजनक वनाया। प्रधानमंत्री ने सौदीअरब के सुलतान को बताया कि हम ये सब काम विना एक्सपोज होते हुए इसलिए कर पाए क्योंकि आपके पैसे पर पलने बाले अधिकतर समातार चैनल, वालीबुड फिल्मनिरमाता व समाचार पत्र हमारे इस भारत के इस्लामीकरण के अभियान में बढ़चढ़कर सहयोग दे रहे हैं पर ये सब वीच-वीच में कभी कभार हिन्दू आतंकवादियों की बात भी रखने का दुहसाहस करते हैं इसीलिए कुछदिन पहले हमने इन पर प्रतिबन्ध लगाने का अभियान चलाया था उसके बाद से ये सब एक आबाज में हमारे मुसलिम क्रांतिकारियों के प्रचार-प्रसार में रात-दिन एक किए हुए हैं व इन्होंने हिन्दू आतंकवादियों का जीना हराम कर दिया है फिर भी आप इनको व हमारी पार्टी को मिलने बाले मेहनताने की रकम बढ़ा दें ताकि हम अपने इस इस्लामीकरम के कार्य में और गति ला सकें हो सके तो हिन्दू आतंकवादी संगठनों के नेताओं को भी खरीदने का प्रयास करें ताकि वो भी हमारी तरह सैकुलर होकर भारत के इसलामीकरण की प्रक्रिया में हमारा सहयोग कर सकें। आपको ये इसलिए भी बढ़ा देना चाहिए क्योंकि हमने मन्दिरों को अपने कब्जे में लेकर मन्दिरों का पैसा मुसलमानों को मक्कामदीना की यात्रा के लिए अनुदान के रूप में दिया जबकि हिन्दूओं पर कुम्भ यात्रा के लिए 20% जजिया कर लगाया। अन्त में सुलतान ने मनमोहन खान की पीठ थपथपाई और बताया कि ये संसार सिर्फ मुसलिम जिहादी क्रांतिकारियों के लिए बना है इसमें किसी गैरमुसलिम को रहने का कोई हक नहीं ।मदरसे इन क्रांतिकारियों के ट्रेनिंग सेंटर हैं व मस्जिदें ओपेरसन सैंटर ,बुरका हथियार धुपाकर ले जाने के लिए । सुलतान ने प्रधानमन्त्री को आदेश दिया कि इन सब का ख्याल रखो और हम आपके बोटों का ख्याल रखेंगे क्योंकि हमारे वोट मस्जिदों से आदेश मिले विना नहीं डलते। आगे और बहुत से कदम ठाने के लिए सुलतान ने आदेश दिए मनमोहनखान ने उनसबका बचन देकर अकशरसह पालन करने का बायदा किया......

बुधवार, 19 मई 2010

आओ जरा समझने की कोशिश करें कि 2G Spectrums के आवंटन में धांधली के आरोप लगाने वाले सुरेस चिपलनूकर जी कितने सही कितने गलत?(धैर्य व वक्त है सच्चाई को सुनने समझने का तभी कलिक करें)


अभी कुछ दिन पहले सुरेशचिपलूनकर जी ने 2G Spectrums आबंटन में सेकुलर सराकर के मन्त्री A Raja द्वारा की गई धांधलियों पर खोजी पत्रकारिता का साकारातमक रूप पेश करते हुए तीन लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी।आज जब सरकार ने 3G Spectrums की निलामी की तो सरकार को 70000 करोड़ रूपये प्राप्त हुए जबकि इससे कई गुना बड़े 2G Spectrums को मात्र 1700 करोड़ रूपये में अपने चहेतों के हबाले कर दिया गया । मामला बिलकुल साफ है कि 2G Spectrums के आबंटन के मामले में सारी सेकुलर सरकार में सामिल लोगों ने लगभग देश के 50000 करोड़ रूपये अपनी तिजोरियों में भर लिए। बात अब बस इतनी सी रह जाती है कि किसके हिस्से में कितने आये।क्या इसका कोई हिस्सा गद्दारों की सरदार(अधिक जानकारी के लिए पोस्ट—क्या बलागजगत आतंकवादियों व उनके समर्थकों से भरा पड़ा... पढ़ें जी) व उसके खासमखास गद्दार दिगविजय सिंह को भी मिला या नहीं? प्रधानमन्त्री मनमोहनखान के हिस्से में कितना आया(अधिक जानकारी के लिए प्रधानमन्त्री मनमोहनखान की साऊदीअरब यात्रा पढ़ें जी)क्योंकि विना उचसतर के सहयोग के जनता का 50000 करोड़ रूपये डकारना आसान नहीं। इसी मामले में कोर्ट ने सरकार को जलील करने वाली ऐसी टिप्पणी की थी कि कोई भी इमानदार प्रधानमन्त्री ऐसे भ्रष्ट मन्त्री को उस टिपणी के वाद एक मिनट में डराप कर देता जूकि इस भ्रष्ट प्रधानमन्त्री ने अब तक इस डकैत को अपनी कैविनेट में जगह दी हुई है ताकि ये सरकार के भ्रष्ट तत्वों की जेवें भरता रहे।अन्त में इतना ही कहना पड़ेगा कि सुरेस चिपलूनकर जी की बात सोलह आने सही सावित हुई।ये तो हुई सेकुलर गिरोह के देश को अर्थिक रूप से तवाह करने के षडयन्त्रों की।अब हम आपको बता रहे हैं सेकुलर गिरोह के आतंकवाद समर्थक महाषडयन्त्रों की। कृपया एक वार ध्यान से पढ़ कर समझने की कोशिश करें जी आपकी बड़ी मेहरवानी व भला होगा क्योंकि ये देश के उपर सबसे बड़ा हमला है इस चक्रबयूह को तोड़ना आसान नहीं पर तोड़ने की कोशिस तभी हो पायेगी जब हमें इसकी समझ होगी।






वैसे तो सारे संसार में मुस्लिम और गैरमुस्लिम की इस लड़ाई में दो चरण होते हैं एक दारूल हरब और दूसरा दारूल इस्लाम । दारूल हरब में गैरमुस्लिमों की सरकार होती है जिसे मुसलमान अपनी सरकार नहीं मानते व देशभक्ति से जुड़े हर कदम-हर कानून का विरोध करते हैं। सब मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाते हैं। ज्यादा बच्चे पैदा करने का वचन लेते हैं । गैरमुस्लिमों की बेटियों को भगाते हैं । इस जिहाद के आगे बढ़ाने के लिए गैरमुस्लिमों पर हमला बोल देते हैं । साथ ही इनका जो मुस्लिम नेतृत्व होता है वो बहुसंख्यकों की प्रतिक्रिया से बचने के लिए व मुस्लिम देशों का सहयोग लेने के लिए मुस्लिमों पर हो रहे काल्पनिक अत्याचार, मुस्लिमों के पिछड़ेपन का दुष्प्रचार करता है। कुरान और शरियत का बहाना लेकर मुसलमानों को उस देश की मुख्यधारा में शामिल होने से रोकता हैं। ये तब तक चलता है जब तक मुस्लिमों की आबादी बहुसंख्यकों को धूल चटाने के काबिल नहीं हो जाती है जैसे ही ये स्थिति आती है अन्तिम हमला शुरू हो जाता है। इस दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाकर गैर मुस्लिमों का सफाया कर दिया जाता है । एक मुस्लिम राष्ट्र अस्तित्व में आ जाता है धीरे-धीरे गैर मुस्लिमों की हर निशानी को मिटा दिया जाता है । जैसे अफगानीस्तान में हिन्दुओं की लगभग हर निशानी मिटा दी गई।वेमियान में बौध मूर्तियों को तोड़ा जाना इसकी अंतिम कड़ी थी । पाकिस्तान,बांगलादेश में भी हिन्दुओं और हिन्दुओं से जुड़ी हर निशानी को मिटाने का काम अपने अंतिम दौर में है।


परन्तु भारत में जिहाद की प्रक्रिया तीन चरणों में थोड़े से अलग तरीके से पूरी होती है पहले चरण में मुसलमान हिन्दुओं की पूजा पद्धति पर सवाल उठाते हैं ।कभी-कभी धार्मिक आयोजनों पर हमला बोलते हैं ।अल्पसंख्यक होने की दुहाई देकर अपनी इस्लामिक पहचान बनाये रखने पर जोर देते हैं । अपने आप को राष्ट्र की मुख्यधारा से दूर रखते हैं धीरे-धीरे हिन्दुओं के त्योहारों पर व अन्य मौकों पर तरह-तरह के बहाने लेकर हमला करते हैं। हमला करते वक्त इनको पता होता है कि मार पड़ेगी पर फिर भी जिहाद की योजना के अनुसार ये हमला करते हैं। परिणामस्वरूप मार पड़ने पर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों व अपने द्वारा किए गये हमले को हिन्दुओं द्वारा किया गया हमला बताकर मुस्लिम देशों में प्रचार करते हैं । अधिक से अधिक बच्चे पैदा करते हैं। बच्चों को स्कूल के बजाए मस्जिदों व मदरसों में शिक्षा की जगह जिहाद पढ़ाते हैं। फिर अपनी गरीबी का रोना रोते हैं । सरकार व विदेशों से आर्थिक सहायता पाना शुरू करते हैं फिर जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जाती है, इनकी आवाज अलगावादी होती जाती है ।अपने द्वारा किए गये हमलों के परिणामस्वरूप मारे गये जिहादियों को आम मुसलमान बताकर जिहाद को तीखा करते हैं। इस बीच मदरसों-मस्जिदों व घरों में अवैध हथियार गोला बारूद इकट्ठा करते रहते हैं कुछ क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट करते हैं प्रतिक्रिया होती है फिर अल्पसंख्कों पर अत्याचार का रोना रोया जाता है ।


दूसरे चरण में इस्लाम की रक्षा व प्रचार प्रसार के नाम पर सैंकड़ों मुस्लिम संगठन((जैसे इसलामिक रिलीफ आर्गनीजेशन,इस्लामिक मूबमैंट,लस्कर-ए- तोयवा,जैस-ए-मुहम्मद,तहरीक-ए-फुरकान,अल बदर,जमीयत-अल-मुजाहीदीन,अलकायदा,हरकत-उल-मुजाहीदीन,अल कायदा,देबबन्द, हरकत-उल-अंसार, हरकत-उल-जेहादे-इसलामी,हिज्ब-ल मुजाहीदीन,जम्मू एंड कसमीर इसलामिक फ्रंट,सिमी,दीनदार अंजुमन,अल्हा टायरस,हुरियत कानफ्रैंर्स, सिमी....सूची बहुत लम्बी है) सामने आ जाते हैं। हिन्दुविरोधी नेताओं, लेखकों व प्रचार-प्रसार के साधनों को खरीदा जाता है। उन्हें उन हिन्दुओं के साथ एकजुट किया जाता है, जो हिन्दुत्व को अपने स्वार्थ के रास्ते में रूकावट के रूप में देखते हैं। इस सब को नाम दिया जाता है, धर्मनिर्पेक्षता का मकसद बताया जाता है अल्पसंख्यकों की रक्षा का। इस बीच हिन्दुओं पर हमले तेज हो जाते हैं जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट हिन्दुओं के त्योहारों के आस पास या त्योहारों पर कर दहशत फैलाई जाती है ।


जब हिन्दूसमाज में क्रोध पैदा होने लगता है तो फिर धर्मनिर्पेक्षतावादियों व जिहादियों के गिरोह द्वारा मुसलमानों को अनपढ़ ,गरीब व हिन्दुओं द्वारा किए गये अत्याचारों का सताया हुआ बताकर धमाकों में मारे गये हिन्दुओं के कत्ल को सही ठहराया जाता है । हिन्दुओं के कत्ल का दोष हिन्दुओं पर ही डालने का षडयन्त्र रचा जाता है।


मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों व उनके समर्थकों द्वारा रचे गये इस षड्यन्त्र के विरूद्ध हिन्दुओं को सचेत करने वालों व इन जिहादी हमलों के विरूद्ध खड़े होने वालों पर सांप्रदायिक कहकर हमला बोला जाता है । जिहादियों द्वारा फिर हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में हमले किए जाते हैं हिन्दू कहीं एकजुट होकर जिहादियों व इन के समर्थकों का सफाया न कर दें इसलिए बीच-बीच में हिन्दुओं को जाति,भाषा,क्षेत्र के आधार पर लड़ाए जाने का षड्यन्त्र रचा जाता है।


साथ में जिहादियों के तर्कों को अल्पसंख्यकवाद के नाम पर हिन्दुओं के मूल अधिकारों पर कैंची चलाकर मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। फिर जिहादियों द्वारा जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्बविस्फोट किये जाते हैं। फिर हिन्दुओं द्वारा इन हमलों के विरूद्ध आवाज उठाई जाती है। फिर आवाज उठाने वालों को सांप्रदायिक बताकर जागरूक हिन्दुओं को चिढ़ाया जाता है व बेसमझ हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए एक आधा मस्जिद के आस पास इस तरह बम्ब विस्फोट करवाकर हिन्दुओं में दो तरह का भ्रम पैदा किया जाता है। कि हमले सिर्फ मन्दिरों पर नहीं हो रहें हैं मस्जिदों पर भी हो रहे हैं दूसरा ये हमला हिन्दुओं ने किया है हिन्दू फिर छलावे में आ जाते हैं अपने-अपने काम में लग पड़ते हैं। ये धरमनिर्पेक्षों व जिहादियों का गिरोह साँप्रदायिक दंगों को रोकने के बहाने जिहादियों की रक्षा करने के नये-नये उपाय ढूँढता हैं। प्रायोजित कार्यक्रम कर हिन्दुओं की रक्षा में लगे संगठनों को बदनाम करने की कोशिश की जाती है। फिर जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों में हमले किए जाते हैं फिर इन हमलों को न्यायोचित ठहराने के लिए ये गिरोह जी जान लगा देता है फिर नये-नये बिके हुए गद्दार समाजिक कार्यकर्ता हिन्दुओं पर हमला बोलते हैं ये कार्यक्रम चलता रहता है जिहाद आगे बढ़ता रहता है ..........


फिर आता है तृतीय चरण जिसमें जिहादी और आम मुसलमान में फर्क खत्म हो जाता है । हिन्दुओं को हलाल कर, हिन्दुओं की मां बहन बेटी की आबरू लूटकर , हिन्दुओं को डराकर भगाकर जिहादियों द्वारा चिन्हित क्षेत्र को हिन्दुविहीन कर उसे बाकी देश से अलग होने का मात्र ऐलान बाकी रह जाता है। ध्यान रहे इस अन्तिम दौर में हलाल होने वाले वो हिन्दू होते हैं जो हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुओं के कत्ल के वक्त जिहादियों का हर वक्त साथ देते हैं या ऐसे काम करते हैं जो जिहाद को आगे बढ़ाने मे सहायक होते हैं ।







मंगलवार, 18 मई 2010

क्या बलाग जगत आतंकवादियों व उनके समर्थकों से भरा पड़ा या फिर नपुसंकों से

जब से हम बलागवाणी पर आये हैं तब से हम देख रहे हैं कि जब भी आतंकवादियों का विरोध करने वाली या फिर उनके समर्थकों को वेनकाब करने वाली पोस्ट लिखी जाती है उनमें से अधिकतर बलागवाणी पर उनमें से पिट जाती है जबकि गद्दारों के समर्थन व सुरक्षावलों व भारतीय संस्कृति के विरूद्ध लिखी हर पोस्ट हिट होती है लेखक चाहे कोई भी हो । सिर्फ लगभग 15-20 लोग ऐसे हैं जो आतंकवादियों व गद्दारों के विरूद्ध संघर्ष कर रहे हैं वाकियों का क्या।आओ जरा इस पोस्ट को देखो और बताओ कि क्या झूठ कहा है इसमें अगर सत्य है तो फिर समर्थन या विरोध क्यों नहीं


गद्दारों की सरदार अंग्रेज के खुले समर्थन से प्ररित माओवादी आतंकवादियों ने एक वार फिर आम जनता पर कहर ढाया...सेना को सता अपने हाथ में लेकर आतंकवादियों के समर्थकों को गोली से उड़ा देना चाहिए।




हमने कुछ दिन पहले आपसे उस अंग्रेज का नाम पूछा था जिसे तीन-तीन कांग्रेसियों ने भारत की असमिता की खातिर जोर दार तमाचा जड़ा।परन्तु लगता है कि अब इस अंग्रेज के बढ़ते भारत विरोधी कदमों को रोकना आम या खास भारतीयों के बस की बात नहीं रही क्योंकि जिस वेशर्मी व विना रेक-टोक के ये अंग्रेज व इसके इसारे पर काम करने वाले दिगविजय सिंह जैसे गद्दार अपने भारत विरोधी कुकर्मों को अंजाम दे रहे हैं उसे सिर्फ और सिर्फ सेना ही रोक सकती है और कोई नहीं ।


क्योंकि भाजपा के नेता तो हिन्दूओं की पुरानी आतमघाती उदतारता की आदत के सिकार होकर इतने उदार हो गए हैं कि उन्होंने इस अंग्रेज के हर देशविरोधी काम को देख-सुनकर भी अपनी जुवान पर ताला जड़ लिया है। लगता है उन्होंने मान लिया है कि जनता ने इस गद्दार के गुलाम प्रधानमन्त्री को दोवार चुनकर इस अंग्रेज को गद्दारी का खुला परमिट दे दिया है पर वो क्या जानें की जनता इनकी फूटडालो और राजकरो की नीति की बजह से भ्रम का सिकार हुई है जिसका खामियाजा वो अपनी जान देकर चुका रही है।


देखो आप लोग पढ़े लिखे समझदार लोग हैं इसलिए हम आपके सामने जो भी बात रखते हैं वो तर्क व यथोचित प्रमाण सहित रखते हैं इसके लिए कइ वार पोस्ट जरूरत से ज्यादा लम्बी भी हो जाती है।


जिस दिन सरकार ने माओवादी आतंकवदियों के विरूद्ध आपरेसन ग्रीन हंट शुरू किया था उसी दिन से आतंकवादियों के मददगार इस आपरेशन को अबरूद्ध करने के लिए इन आतंकवादियों के समर्थन में कोई न कोई ब्यान दिए जा रहे हैं।इस मामले में सबसे अग्रणी रहे हैं दिगविजय सिंह।हैरानी की बात तो ये है कि इस गद्दार का इन आतंकवादियों के समर्थन में ब्यान तब आता है जब न आतंकवादियों के हमले में सैनिक शहीद होते हैं या फिर तब जब इन आतंकवादियों के हमलों में आम लोग मारे जाते हैं।मतलब हर ब्यान का मकसद होता है सुरक्षाबलों को आतंकवादियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही से रोकना ताकि आतंकवादियों की ताकत वनी रहे और वो सेना व सुरक्षाबलों को निशाना बनाते रहें। आपको प्रमाण चाहिए तो आजका ब्यान सुन लें।इस बार तो हमला सब गद्दारों की सरदार एंटोनियो माइनो मारियो के उस ब्यान के बाद आया है जिसमें इस गद्दार न आतंकवादियों को गरीबों का मसीहा करार देकर इनके विरूद्ध सैनिक कार्यवाही का विरोध किया है वो बी तब जब इन पर कुछ दबाब बनता हुआ दिक रहा था परिणाम 60 लोगों का की शहीदी जिसमें 16 सैनिक थे।आपको समझना चाहिए कि क्योंकि प्रधानमन्त्री सहित सारी सरकार इसी अंग्रेज की गुलाम है इसलिए इसके ब्यान का मतलब है सरकार को इन आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने का आदेश।


अब आप सोचेंगे कि हमने इस अंग्रेज को गद्दारों की सरदार क्यों कहा?


वो इसलिए कि मामला चाहे पाक समर्थक आतंकवादियों का हो या फिर चीन समर्थक आतंकवादियों का हर जगह यही गद्दार उनको बढ़ाबा देती हुई प्रतीत होती है।आपको याद होगा कि किस तरह अमर सिंह द्वार बटला हाऊस मुठभेड़ में शहीद आतंकवादी का अपमान किया था। तब ततकालीन पार्टी प्रवक्ता सत्यब्रत चतुर्वेदी जी ने अमर सिंह को शहीद का अपमान करने पर गद्दार कहा था।विना कोई वक्त गवाए गद्दारों की सरदार इस अंग्रेज ने उन्हें प्रवक्ता पद से चलता कर दिया था। अब आपको ये वताने की जरूरत तो नहीं कि कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष कौन है।


दूसरी तरफ इसी पार्टी के महासचिब दिगविजय सिंह ने वार-वार बटला हाऊस इंनकांऊटर के शहीदों का अपमान कर आतंकवादियों का पक्ष लिया।उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई उल्टा दिगविजय सिंह ने सबके सामने सवीकार किया कि वो जो भी आतंकवादियों के लिए कर रहे हैं वो सब इस अंग्रेज व इसके बेटे के इसारे पर हो रहा है जिसका इस अंग्रेज ने कोई विरोध नहीं किया मतलब है दिगविजय सिंह ने सच कहा।


आपके याद होगा हाल ही में महाराष्ट्र में पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति अहमद पटेल+गृहमन्त्री महारष्ट्र+आतंवादियों की संयुक्त समिती द्वारा तय किए जाने का मामला सामने आया।आप जानते हैं कि अहमद पटेल इसी अंग्रेज के सलाहकार हैं।उनके विरूद्ध भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।


वोफोर्स दलाली कांड के अभियुक्त कवात्रोची के पैसे लंदन बैंक से निकलवाने ततकालीन काननू मन्त्री हंसराज भारद्द्वाज इस अंग्रेज के आदेश पर लंदन पहुंच गए जिसकी बजह से बाद में कोर्ट के आदेश के वावजूद वो पैसे नहीं रोके जा सके। बाद में इसी अंग्रेज के आदेश पर इसकी गुलाम सरकार ने क्वात्रोची के विरूद्ध सारे मामले वापस ये कहकर ले लिए कि इससे देश की छवि खराब होती है मतलब इस अंग्रेज की छवि खराब होती है।क्योंकि गुलाम सरकार की निगाह में ये अंग्रेज ही देश है। इसीलिए ये सरकार इस अंग्रेज की चवि खराब होने को देश की छवि खराब होना कहती है । अनेकों और ऐसे मामले हैं जिससे इस अंग्रेज के भारत विरोधी षडयन्त्र वेनकाब होते हैं।


अब आप बताओ हुई न ये अंग्रेज गद्दारों की सरदार व पनाहगार। आशा है आप भी ऐसे मामलों को अपनी कलम से शब्द देकर जनता के समाने रखकर इसे वेनकाब करेंगे।


अब प्रश्न उठता है कि इस सारी समस्या को कोई लोकतान्त्रिक हल है कि नहीं हमारे विचार में नहीं क्योंकि सारा मीडिया देशविरोधी रूख अपनाकर भारत को तबाह करने पर अमादा है।जिससे आतंकवादियों से लड़ना लगभग असम्भव हो गया है। जैसे ही आतंकवादी हमला करते हैं सब चैनल सुरक्षाबलों पर हमला वोल देते हैं हर हमले में उन्हीं का दोष निकालकर।


आपको याद होगा कि किस तरह सरकार व पार्टी पर पकड़ रखने वाले इन्हीं आतंकवादियों के मददगारों की बजह से दुखी होकर गृहमन्त्री ने लाचारी में तयागपत्र देने की पेशकश कर दी थी। गृहमन्त्री की ये मजबूरी कल उस वक्त एक वार फिर जाहिर हो गयी जब उन्होंने वताया कि उनके पास आतंकवादियों से लड़ने के प्रयाप्त अधिकार नहीं हैं ।


अब आखिर कौन है जो देश के गृहमन्त्री को आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवादी करने से रोक सकता है हमारे विचार में सिर्फ और सिर्फ ये अंग्रेज।


अन्त में अब आतंकवाद व विदेशी षडयन्त्रों से त्रस्त भारत की समस्याओं का एक ही हल है वो है सेना द्वारा सासन अपने हाथ में लेकर गद्दारों का नास करना। वो भी उन्हें चौराहे पर खड़ा कर गोली से उड़ाकर बरना अब इस देश का आम या खास कोई भी इन गद्दारों की पहुंच से बाहर नहीं।


































सोमवार, 17 मई 2010

आप ही बताओ हम अपना ये दुखड़ा आपके पास नहीं तो किसके पास रोयें....इस बुरे वक्त में आप हमारा साथ न दोगे तो कौन देगा..साथ नहीं देना है तो न दो ....पर इतना तो बता दो कि इस हिंसा का सिकार होने वालों की खता क्या है?




जी हां ये हमारा लेख नहीं वो दर्द है जो हम किसी को नहीं बता सकते . लोग समझते हैं हम लेख लिख रहे हैं पर सच्चाई ये हैं कि वो सच्चाई है जो हमें दिन-रात उस दर्द का एहसास करवा रही है जिसका क्या पता आपको कभी एहसास होगा भी या नहीं।धर्म-जाति-भाषा जैसे मुद्दों से हमारा दूर का भी कोई बास्ता नहीं।हमारी शिक्षा-दीक्षा भी उसी मैकाले के सिसटम में हुइ है जिसमें आपकी ।हम भी आपकी तरह मस्त मलंग जीवन जी रहे थे कि तभी हमारा सामना कुछ ऐसी घटनाओं से हुआ जिन्होंने हमें देश पर बढ़ रहे इसलामिक हमले के खतरनाक षडयन्त्रों व परिणामों का एहसास करवा दिया। जो हमने महसूस किया वो लिख रहे हैं इस पर आपकी प्रतिक्रिया ही ये तय करेगी कि हमें भविष्य में अपना दर्द आपसे वतांये कि नहीं ।धैर्य से पढ़ना विशलेसण करना अगर आपको लगे कि देश में ये सब योजनाबध तरीके से हो रहा है तो समाधान वताना रोकने का अगर झूठ लगे तो कारण सहित समझाना क्या झूठ है ?


वैसे तो सारे संसार में मुस्लिम और गैरमुस्लिम की इस लड़ाई में दो चरण होते हैं एक दारूल हरब और दूसरा दारूल इस्लाम । दारूल हरब में गैरमुस्लिमों की सरकार होती है जिसे मुसलमान अपनी सरकार नहीं मानते व देशभक्ति से जुड़े हर कदम-हर कानून का विरोध करते हैं। सब मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाते हैं। ज्यादा बच्चे पैदा करने का वचन लेते हैं । गैरमुस्लिमों की बेटियों को भगाते हैं । इस जिहाद के आगे बढ़ाने के लिए गैरमुस्लिमों पर हमला बोल देते हैं । साथ ही इनका जो मुस्लिम नेतृत्व होता है वो बहुसंख्यकों की प्रतिक्रिया से बचने के लिए व मुस्लिम देशों का सहयोग लेने के लिए मुस्लिमों पर हो रहे काल्पनिक अत्याचार, मुस्लिमों के पिछड़ेपन का दुष्प्रचार करता है। कुरान और शरियत का बहाना लेकर मुसलमानों को उस देश की मुख्यधारा में शामिल होने से रोकता हैं। ये तब तक चलता है जब तक मुस्लिमों की आबादी बहुसंख्यकों को धूल चटाने के काबिल नहीं हो जाती है जैसे ही ये स्थिति आती है अन्तिम हमला शुरू हो जाता है। इस दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाकर गैर मुस्लिमों का सफाया कर दिया जाता है । एक मुस्लिम राष्ट्र अस्तित्व में आ जाता है धीरे-धीरे गैर मुस्लिमों की हर निशानी को मिटा दिया जाता है । जैसे अफगानीस्तान में हिन्दुओं की लगभग हर निशानी मिटा दी गई।वेमियान में बौध मूर्तियों को तोड़ा जाना इसकी अंतिम कड़ी थी । पाकिस्तान,बांगलादेश में भी हिन्दुओं और हिन्दुओं से जुड़ी हर निशानी को मिटाने का काम अपने अंतिम दौर में है।


परन्तु भारत में जिहाद की प्रक्रिया तीन चरणों में थोड़े से अलग तरीके से पूरी होती है पहले चरण में मुसलमान हिन्दुओं की पूजा पद्धति पर सवाल उठाते हैं ।कभी-कभी धार्मिक आयोजनों पर हमला बोलते हैं ।अल्पसंख्यक होने की दुहाई देकर अपनी इस्लामिक पहचान बनाये रखने पर जोर देते हैं । अपने आप को राष्ट्र की मुख्यधारा से दूर रखते हैं धीरे-धीरे हिन्दुओं के त्योहारों पर व अन्य मौकों पर तरह-तरह के बहाने लेकर हमला करते हैं। हमला करते वक्त इनको पता होता है कि मार पड़ेगी पर फिर भी जिहाद की योजना के अनुसार ये हमला करते हैं। परिणामस्वरूप मार पड़ने पर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों व अपने द्वारा किए गये हमले को हिन्दुओं द्वारा किया गया हमला बताकर मुस्लिम देशों में प्रचार करते हैं । अधिक से अधिक बच्चे पैदा करते हैं। बच्चों को स्कूल के बजाए मस्जिदों व मदरसों में शिक्षा की जगह जिहाद पढ़ाते हैं। फिर अपनी गरीबी का रोना रोते हैं । सरकार व विदेशों से आर्थिक सहायता पाना शुरू करते हैं फिर जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जाती है, इनकी आवाज अलगावादी होती जाती है ।अपने द्वारा किए गये हमलों के परिणामस्वरूप मारे गये जिहादियों को आम मुसलमान बताकर जिहाद को तीखा करते हैं। इस बीच मदरसों-मस्जिदों व घरों में अवैध हथियार गोला बारूद इकट्ठा करते रहते हैं कुछ क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट करते हैं प्रतिक्रिया होती है फिर अल्पसंख्कों पर अत्याचार का रोना रोया जाता है ।


दूसरे चरण में इस्लाम की रक्षा व प्रचार प्रसार के नाम पर सैंकड़ों मुस्लिम संगठन((जैसे इसलामिक रिलीफ आर्गनीजेशन,इस्लामिक मूबमैंट,लस्कर-ए- तोयवा,जैस-ए-मुहम्मद,तहरीक-ए-फुरकान,अल बदर,जमीयत-अल-मुजाहीदीन,अलकायदा,हरकत-उल-मुजाहीदीन,अल कायदा,देबबन्द, हरकत-उल-अंसार, हरकत-उल-जेहादे-इसलामी,हिज्ब-ल मुजाहीदीन,जम्मू एंड कसमीर इसलामिक फ्रंट,सिमी,दीनदार अंजुमन,अल्हा टायरस,हुरियत कानफ्रैंर्स ....सूची बहुत लम्बी है) सामने आ जाते हैं। हिन्दुविरोधी नेताओं, लेखकों व प्रचार-प्रसार के साधनों को खरीदा जाता है। उन्हें उन हिन्दुओं के साथ एकजुट किया जाता है, जो हिन्दुत्व को अपने स्वार्थ के रास्ते में रूकावट के रूप में देखते हैं। इस सब को नाम दिया जाता है, धर्मनिर्पेक्षता का मकसद बताया जाता है अल्पसंख्यकों की रक्षा का। इस बीच हिन्दुओं पर हमले तेज हो जाते हैं जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट हिन्दुओं के त्योहारों के आस पास या त्योहारों पर कर दहशत फैलाई जाती है ।


जब हिन्दूसमाज में क्रोध पैदा होने लगता है तो फिर धर्मनिर्पेक्षतावादियों व जिहादियों के गिरोह द्वारा मुसलमानों को अनपढ़ ,गरीब व हिन्दुओं द्वारा किए गये अत्याचारों का सताया हुआ बताकर धमाकों में मारे गये हिन्दुओं के कत्ल को सही ठहराया जाता है । हिन्दुओं के कत्ल का दोष हिन्दुओं पर ही डालने का षडयन्त्र रचा जाता है।


मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों व उनके समर्थकों द्वारा रचे गये इस षड्यन्त्र के विरूद्ध हिन्दुओं को सचेत करने वालों व इन जिहादी हमलों के विरूद्ध खड़े होने वालों पर सांप्रदायिक कहकर हमला बोला जाता है । जिहादियों द्वारा फिर हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में हमले किए जाते हैं हिन्दू कहीं एकजुट होकर जिहादियों व इन के समर्थकों का सफाया न कर दें इसलिए बीच-बीच में हिन्दुओं को जाति,भाषा,क्षेत्र के आधार पर लड़ाए जाने का षड्यन्त्र रचा जाता है।


साथ में जिहादियों के तर्कों को अल्पसंख्यकवाद के नाम पर हिन्दुओं के मूल अधिकारों पर कैंची चलाकर मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। फिर जिहादियों द्वारा जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्बविस्फोट किये जाते हैं। फिर हिन्दुओं द्वारा इन हमलों के विरूद्ध आवाज उठाई जाती है। फिर आवाज उठाने वालों को सांप्रदायिक बताकर जागरूक हिन्दुओं को चिढ़ाया जाता है व बेसमझ हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए एक आधा मस्जिद के आस पास इस तरह बम्ब विस्फोट करवाकर हिन्दुओं में दो तरह का भ्रम पैदा किया जाता है। कि हमले सिर्फ मन्दिरों पर नहीं हो रहें हैं मस्जिदों पर भी हो रहे हैं दूसरा ये हमला हिन्दुओं ने किया है हिन्दू फिर छलावे में आ जाते हैं अपने-अपने काम में लग पड़ते हैं। ये धरमनिर्पेक्षों व जिहादियों का गिरोह साँप्रदायिक दंगों को रोकने के बहाने जिहादियों की रक्षा करने के नये-नये उपाय ढूँढता हैं। प्रायोजित कार्यक्रम कर हिन्दुओं की रक्षा में लगे संगठनों को बदनाम करने की कोशिश की जाती है। फिर जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों में हमले किए जाते हैं फिर इन हमलों को न्यायोचित ठहराने के लिए ये गिरोह जी जान लगा देता है फिर नये-नये बिके हुए गद्दार समाजिक कार्यकर्ता हिन्दुओं पर हमला बोलते हैं ये कार्यक्रम चलता रहता है जिहाद आगे बढ़ता रहता है ..........


फिर आता है तृतीय चरण जिसमें जिहादी और आम मुसलमान में फर्क खत्म हो जाता है । हिन्दुओं को हलाल कर, हिन्दुओं की मां बहन बेटी की आबरू लूटकर , हिन्दुओं को डराकर भगाकर जिहादियों द्वारा चिन्हित क्षेत्र को हिन्दुविहीन कर उसे बाकी देश से अलग होने का मात्र ऐलान बाकी रह जाता है। ध्यान रहे इस अन्तिम दौर में हलाल होने वाले वो हिन्दू होते हैं जो हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुओं के कत्ल के वक्त जिहादियों का हर वक्त साथ देते हैं या ऐसे काम करते हैं जो जिहाद को आगे बढ़ाने मे सहायक होते हैं ।


रविवार, 16 मई 2010

चर्चा...दिल्ली की खबर...लो जी अब कर लो बात... पुलिस ने पलेटफार्म 12-13 पर भगदड़ करवा दी...हम नहीं सुधरेंगे

हम वाराणसी से वापस आ रहे थे ।अचानक खबर मिली कि प्लेटफारम नम्मबर 12-13 पर भगदड़ मचने से दो लोगों की मृत्यु हो गई व दर्जनों घायल हो गए। सच कहें तो एसे समाचार सुनकर दिल कराह उठता है सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर भारतीय जो कभी इनसानियत और करूणा के भंडार थे उन्हें आखिर किसकी नजर लग गई ।हर तरफ दंगा-फसाद मार-काट दूसरे के सीने पर चड़कर आगे बढ़ने की होड़।भौतिकवाद इसकदर सिर पर सवार न अपनों की होश ,न भावनाओं की कदर ,न रिस्ते नातों की परवाह न कोई मान न कोई मर्यादा सिर्फ और सिर्फ अपना हित दूसरे जायें भाड़ में।


खैर मूल विषय पर आते हैं कि ये भगदड़ आखिर होती क्यों है?


1)हमारे विचार में इस भगदड़ की जड़ में है असमान विकाश


सरकार किसी भी पार्टी की हो ध्यान सिर्फ शहरों पर मामूली रोजगार कार्यालय से लेकर बड़े से बड़ा कारखाने लगाने के लिए सिर्फ सहरों या फिर कस्वों को चुना जाता है.और तो और खेल के स्टेडियम तक बनाने के लिए भी शहरों को ही प्राथमिरकता दी जाती है।थोड़े शब्दों में कहें तो रोजगार के सब अबसर सिर्फ शहरों तक सीमित कर दिए गए हैं ।गांव की घोर अनदेखी रोजगार के मामले में ।परिणामस्वारूप हर कोई रोजगार के चक्र में शहर की ओर भागा हुआ।


3) जहां गांव में जरूरत है सिंचाई योजनाओं की वहां सरकार दे रही हैं पक्के रास्ते,विवाह घर और समसानघाट जिनका रोजगार से दूर का बास्ता नहीं अब इन मूर्ख नेताओं को कौन समझाये कि अगर गांव को सिंचाई के लिए पानी मिले तो वो फसल उगाकर पैसा खुद कमा लेंगे जब पैसा होगा तो फिर ये सब चीजें वो खुद वनवा लेंगे फिर न लोग शहरों को भागेंगे न भगदड़ होगी ।


2) माननीय सर्वोच न्यायालय ने कितनी वार कहा कि बढ़ती हुई जनशंख्या की बजह से सारी ब्यबस्थायें चरमरा रही हैं बचाब के लिए जनशंख्या निती बनाना जरूरी है पर सुनकता कौन है पहले जनसंघ फिर भाजपा ने मुद्दा उठाया तो उसे सांप्रदायिक करार देकर सेकुलर गद्दारों ने शोर मचा दिया कि ये मुसलमानों के विरूद्ध साजिस है हम कहते हैं इन सेकुलर गद्दारों से कि रेलवे स्टेशन पर जाकर देखें कि क्या इस भगदड़ में सिर्फ हिन्दूओं ने ही नुकशान उठाया है या फिर मुसलमानों ने भी । प्रधानमन्त्री द्वारा ये विभाजनकारी घोषणा करना कि हम मुसलिम बहुल जिलों का विकाश करेंगे क्या जनशंख्या बृद्धि को प्रोतसाहन देने वाला नहीं। क्यों न ये माना जाये कि जनशंख्या बृद्धि से पैदा हो रही सब समसयाओं के लिए ये सेकुलर गद्दार जिम्मेदार हैं जो घर्मनिर्पेक्षता का नारा देकर मुसलामनों और हिन्दूओं की कमजोरियों का फायदा उठाकर देशहित के हर मुद्दे को हिन्दू-मुसलमान के रंग में रंग देते हैं।


3)इस भगदड़ के लिए हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि हम लोगों ने भी हर प्रकार के अनुशाशन को तोड़ना पर परम कर्तवय मान लिया है। पहले तो सटेशन मासटर को पलेटफार्म बदलने ही नहीं चाहिए थे और अगर बदल भी दिए थे तो हमें भागमभाग मचाने के बजाए आराम से एक स्टेशन से दूसरे सटेशन पर जाना चाहिए था बैसे भी तो हमारी सीटें किसी दूसरे को नहीं मिलने वाली थीं मिल भी जाती तो कछ्ट ही होता न जान तो नहीं जाती।


आओ हम प्रण करें कि हम कभी भी कहीं भी अनुशासन तोड़ने के बजाए कष्ट उठाने को प्राथमिकता देंगे।


आओ हम प्रण करें कि हम सब एक एक चिठी सेना प्रमुख को लिखेंगे देश की वागडोर अपने ङाथ में ले लेने के लिए ताकि भारतीयों को अनुशाशन में रहना सिखाया जा सके व हिन्दू मुसलिम के नाम पर गृहयुद्ध की ओर बड़ते इस देश को बचाया जा सके।


भगदड़ रोकने के उपाय


1) गांव का विकाश कर गांव में रोजगार के अबसर पैदा करना।


2) देश में सैनिक शाशन लगाकर अनुशाशन की आदत डालना


3) कानून को सख्ती से लागू करना जो कि सैनिक शासन के विना सम्भव नहीं


4) खुद अपने व दूसरे की जान-माल की रक्षा की खातिर अनुशाशन में रहना


5) अन्त में आप सबसे एक विनती ये कि अपने किए की जिम्मेदारी हम अपने पर लेना सीखें ।अनुशाशन हम तोड़ें-भगदड़ हम मचायें और दोश पुलिश को दें ये गलत आदत है भई इसे छोड़ना होगा...क्या छोड़ पाओगे ?










शनिवार, 15 मई 2010

क्या आपने अपने प्रिय जाबेद अखतर की जिन्दगी के इस पहलू पर ध्यान दिया है? आओ जरा सदका करें इनकी महानता का ये दो शब्द कहकर !


कल हमें पता चला कि जाबेद अखतर को देबबंद के फतवे का विरोध करने पर जान से मारने की धमकी मिली है।देववंद वही संस्था है जिसने सेकुलर सरकार की मौजूदगी में वन्देमातरम् के विरूद्ध भी फतवा जारी किया था इसी जावेद अखतर ने गद्दारों के प्रति अपनी सहमति दिखाने के लिए उसका मौन समर्थन किया था। ये जाबेद अखतर उस शबाना आजमी का पति है जो मुंबई में मन मापिक मकान न मिलने सारे भारत में हिन्दूओं द्वारा सब मुसलमानों के साथ भेदभव का मनघड़ंत आरोप लगाकर मुसलिम अलगाववाद को बढ़ाबा देती फिर रही थी। ये वही जाबेद अख्तर है जो बात-बात पर मुसलिम आतंकवादियों का विरोध करने वाले संगठनों को सांप्रदायिक करार देकर आतंकवादियों की सहायता करते रहे हैं।ये वही हैं जो पुलिस द्वारा आतंकवादियों के विरूद्ध कडी कार्यवाही करने पर पुलिस पर मनघड़त आरोप लगाकर पुलिस को कटघरे में खड़ा कर अलगाववाद को बड़ाबा देते रहे हैं ।अब जब इन जैसों के सहयोग की बजह से आतंकवादियों का हौसला यहां तक बड़ गया कि उन्हें इन जैसों के सहारे की कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही है इसलिए अपने ही साथियों का मुंह बन्द करने के लिए धमकी का सहार ले रहे हैं तो फिर बताओ पुलिस को ऐसे लोगों के सुरक्षा क्यों देनी चाहिए।हमारे विचार में पुलिस को चाहिए कि वो आतंकवादियौं द्वारा अपने साथी को मार देने का इन्तजार कर बाद में उन आतंकवादियों को भी मुठभेड़ में किनारे लगा दे।


बैसे हम गरंटी दे सकते हैं कि अलगाववादी अपने इस भरोसे के साथी को मारेंगे नहीं वल्कि य़े पबलिसटी सटंट हो सकता है क्योंकि मुंबई हमले के बाद ऐसे बहुत से आतंकवादियों के मददगारों की बोलती बन्द हो गई है ऐसे प्रयस कर वो जनता को भ्रमाकर अपनी देशविरोधी जुवान को फिर से खोलने की भूमिका त्यार कर रहे हैं ।


आओ इनका अभी से विरोध करें क्या आप करोगे?


क्या ये सच्चाई नहीं कि इसलाम की असलियत फिरदौस खान जी नहीं बल्कि अनबर जमाल है?

आये दिन आतंकवादियों के पैरोकार क्यों पुलिस ही हर कार्यावाही पर प्रश्न चिन्ह लगाकर-बन्देमातरम् का विरोध कर-आतंकवादियों को निर्दोश बताकर-हिन्दूओं को सांप्रदायिक कहकर-हिन्दूओं के आस्थाकेन्द्रों का अपमान कर -हिन्दूओं की मानयताओं को अंधविस्वास बताकर आये दिन हमें नई से नई समस्या में फंसाकर आखिर हासिल करना क्या चाहते हैं? आओ हम बताते हैं

वैसे तो सारे संसार में मुस्लिम और गैरमुस्लिम की इस लड़ाई में दो चरण होते हैं एक दारूल हरब और दूसरा दारूल इस्लाम । दारूल हरब में गैरमुस्लिमों की सरकार होती है जिसे मुसलमान अपनी सरकार नहीं मानते व देशभक्ति से जुड़े हर कदम-हर कानून का विरोध करते हैं। सब मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाते हैं। ज्यादा बच्चे पैदा करने का वचन लेते हैं । गैरमुस्लिमों की बेटियों को भगाते हैं । इस जिहाद के आगे बढ़ाने के लिए गैरमुस्लिमों पर हमला बोल देते हैं । साथ ही इनका जो मुस्लिम नेतृत्व होता है वो बहुसंख्यकों की प्रतिक्रिया से बचने के लिए व मुस्लिम देशों का सहयोग लेने के लिए मुस्लिमों पर हो रहे काल्पनिक अत्याचार, मुस्लिमों के पिछड़ेपन का दुष्प्रचार करता है। कुरान और शरियत का बहाना लेकर मुसलमानों को उस देश की मुख्यधारा में शामिल होने से रोकता हैं। ये तब तक चलता है जब तक मुस्लिमों की आबादी बहुसंख्यकों को धूल चटाने के काबिल नहीं हो जाती है जैसे ही ये स्थिति आती है अन्तिम हमला शुरू हो जाता है। इस दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाकर गैर मुस्लिमों का सफाया कर दिया जाता है । एक मुस्लिम राष्ट्र अस्तित्व में आ जाता है धीरे-धीरे गैर मुस्लिमों की हर निशानी को मिटा दिया जाता है । जैसे अफगानीस्तान में हिन्दुओं की लगभग हर निशानी मिटा दी गई।वेमियान में बौध मूर्तियों को तोड़ा जाना इसकी अंतिम कड़ी थी । पाकिस्तान,बांगलादेश में भी हिन्दुओं और हिन्दुओं से जुड़ी हर निशानी को मिटाने का काम अपने अंतिम दौर में है।






परन्तु भारत में जिहाद की प्रक्रिया तीन चरणों में थोड़े से अलग तरीके से पूरी होती है पहले चरण में मुसलमान हिन्दुओं की पूजा पद्धति पर सवाल उठाते हैं ।कभी-कभी धार्मिक आयोजनों पर हमला बोलते हैं ।अल्पसंख्यक होने की दुहाई देकर अपनी इस्लामिक पहचान बनाये रखने पर जोर देते हैं । अपने आप को राष्ट्र की मुख्यधारा से दूर रखते हैं धीरे-धीरे हिन्दुओं के त्योहारों पर व अन्य मौकों पर तरह-तरह के बहाने लेकर हमला करते हैं। हमला करते वक्त इनको पता होता है कि मार पड़ेगी पर फिर भी जिहाद की योजना के अनुसार ये हमला करते हैं। परिणामस्वरूप मार पड़ने पर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों व अपने द्वारा किए गये हमले को हिन्दुओं द्वारा किया गया हमला बताकर मुस्लिम देशों में प्रचार करते हैं । अधिक से अधिक बच्चे पैदा करते हैं। बच्चों को स्कूल के बजाए मस्जिदों व मदरसों में शिक्षा की जगह जिहाद पढ़ाते हैं। फिर अपनी गरीबी का रोना रोते हैं । सरकार व विदेशों से आर्थिक सहायता पाना शुरू करते हैं फिर जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जाती है, इनकी आवाज अलगावादी होती जाती है ।अपने द्वारा किए गये हमलों के परिणामस्वरूप मारे गये जिहादियों को आम मुसलमान बताकर जिहाद को तीखा करते हैं। इस बीच मदरसों-मस्जिदों व घरों में अवैध हथियार गोला बारूद इकट्ठा करते रहते हैं कुछ क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट करते हैं प्रतिक्रिया होती है फिर अल्पसंख्कों पर अत्याचार का रोना रोया जाता है ।






दूसरे चरण में इस्लाम की रक्षा व प्रचार प्रसार के नाम पर सैंकड़ों मुस्लिम संगठन सामने आ जाते हैं। हिन्दुविरोधी नेताओं, लेखकों व प्रचार-प्रसार के साधनों को खरीदा जाता है। उन्हें उन हिन्दुओं के साथ एकजुट किया जाता है, जो हिन्दुत्व को अपने स्वार्थ के रास्ते में रूकावट के रूप में देखते हैं। इस सब को नाम दिया जाता है, धर्मनिर्पेक्षता का मकसद बताया जाता है अल्पसंख्यकों की रक्षा का। इस बीच हिन्दुओं पर हमले तेज हो जाते हैं जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट हिन्दुओं के त्योहारों के आस पास या त्योहारों पर कर दहशत फैलाई जाती है ।






जब हिन्दूसमाज में क्रोध पैदा होने लगता है तो फिर धर्मनिर्पेक्षतावादियों व जिहादियों के गिरोह द्वारा मुसलमानों को अनपढ़ ,गरीब व हिन्दुओं द्वारा किए गये अत्याचारों का सताया हुआ बताकर धमाकों में मारे गये हिन्दुओं के कत्ल को सही ठहराया जाता है । हिन्दुओं के कत्ल का दोष हिन्दुओं पर ही डालने का षडयन्त्र रचा जाता है।






मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों व उनके समर्थकों द्वारा रचे गये इस षड्यन्त्र के विरूद्ध हिन्दुओं को सचेत करने वालों व इन जिहादी हमलों के विरूद्ध खड़े होने वालों पर सांप्रदायिक कहकर हमला बोला जाता है । जिहादियों द्वारा फिर हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में हमले किए जाते हैं हिन्दू कहीं एकजुट होकर जिहादियों व इन के समर्थकों का सफाया न कर दें इसलिए बीच-बीच में हिन्दुओं को जाति,भाषा,क्षेत्र के आधार पर लड़ाए जाने का षड्यन्त्र रचा जाता है।






साथ में जिहादियों के तर्कों को अल्पसंख्यकवाद के नाम पर हिन्दुओं के मूल अधिकारों पर कैंची चलाकर मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। फिर जिहादियों द्वारा जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्बविस्फोट किये जाते हैं। फिर हिन्दुओं द्वारा इन हमलों के विरूद्ध आवाज उठाई जाती है। फिर आवाज उठाने वालों को सांप्रदायिक बताकर जागरूक हिन्दुओं को चिढ़ाया जाता है व बेसमझ हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए एक आधा मस्जिद के आस पास इस तरह बम्ब विस्फोट करवाकर हिन्दुओं में दो तरह का भ्रम पैदा किया जाता है। कि हमले सिर्फ मन्दिरों पर नहीं हो रहें हैं मस्जिदों पर भी हो रहे हैं दूसरा ये हमला हिन्दुओं ने किया है हिन्दू फिर छलावे में आ जाते हैं अपने-अपने काम में लग पड़ते हैं। ये धरमनिर्पेक्षों व जिहादियों का गिरोह साँप्रदायिक दंगों को रोकने के बहाने जिहादियों की रक्षा करने के नये-नये उपाय ढूँढता हैं। प्रायोजित कार्यक्रम कर हिन्दुओं की रक्षा में लगे संगठनों को बदनाम करने की कोशिश की जाती है। फिर जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों में हमले किए जाते हैं फिर इन हमलों को न्यायोचित ठहराने के लिए ये गिरोह जी जान लगा देता है फिर नये-नये बिके हुए गद्दार समाजिक कार्यकर्ता हिन्दुओं पर हमला बोलते हैं ये कार्यक्रम चलता रहता है जिहाद आगे बढ़ता रहता है ..........






फिर आता है तृतीय चरण जिसमें जिहादी और आम मुसलमान में फर्क खत्म हो जाता है । हिन्दुओं को हलाल कर, हिन्दुओं की मां बहन बेटी की आबरू लूटकर , हिन्दुओं को डराकर भगाकर जिहादियों द्वारा चिन्हित क्षेत्र को हिन्दुविहीन कर उसे बाकी देश से अलग होने का मात्र ऐलान बाकी रह जाता है। ध्यान रहे इस अन्तिम दौर में हलाल होने वाले वो हिन्दू होते हैं जो हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुओं के कत्ल के वक्त जिहादियों का हर वक्त साथ देते हैं या ऐसे काम करते हैं जो जिहाद को आगे बढ़ाने मे सहायक होते हैं ।


अन्त में हम आपसे इतना ही जानना चाहेंगे कि क्या ये सच्चाई नहीं कि फिरदौस खान जी इसलाम का वो कालपनिक चेहरा है जो हम देखना चाहते हैं जिससे किसी को कोई दिक्कत नहीं हो सकती जबकि डा अनबर जमाल जिहादी आतंकवाद की जड़ इसलाम की असलियत है?














शुक्रवार, 14 मई 2010

मन ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हिन्दू ये सब कैसे और क्यों सहन कर गए ?





अधिकतर देशद्रोही चैनल तो जिहादियों का समर्थन करने व हिन्दुओं को अपमानित करने में मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों को भी पीछे छोड़ देते हैं ।


अगर हम 1945 तक हुए हिन्दुओं के नरसहारों को न भी लिखें तो भी इन मुस्लिम जिहादियों ने 1946 के बाद ही हिन्दुओं पर इतने जुल्म ढाये हैं कि इनके बारे में सोचते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं ।
मन ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हिन्दू ये सब कैसे और क्यों सहन कर गए ?इतना कुछ हो जाने पर भी ये गिरोह जो खुद को सैकुलर कहता है इन जिहादियों का साथ क्यों दे रहा है ?





क्यों इस गिरोह को हिन्दुओं के कत्ल करवाने में फखर महसूस होता है विजय का एहसास होता है ?


क्यों और कैसे ये गिरोह हिन्दुओं के हुए हर नरसंहार के बाद जिहादियों के पक्ष में महौल बनाने पर उतारू हो जाता है ?


क्यों ये गिरोह हिन्दुओं को धोखा देकर उन्हें ही कत्ल करवाने में कामयाब जो जाता है ?


क्यों ये गिरोह हिन्दुओं के आक्रोश से बच जाता है ?


क्यों हिन्दू एकजुट होकर हिन्दुओं के कातिलों व उनके समर्थकों पर एक साथ हमला नहीं बोलते ?


हम शुरू करते हैं 1946 से जब कलकता में मुसलमानों द्वारा किए गए हमलों में 5000 हिन्दुओं का कत्ल किया गया ।


फिर नवम्बर में पूर्वी बंगाल के नौखली जिला में हिन्दुओं का नरसंहार किया गया सब के सब हिन्दुओं को वहां से भगा दिया गया उनकी सम्पति तबाह कर दी गई ।


विभाजन के दौरान कम से कम 20 लाख हिन्दू-सिखों का कत्ल सिर्फ वर्तमान पाकिस्तान में किया गया ।


सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1947-1951 तक जिहादी मुसलमानों द्वारा किए गये अत्याचारों के परिणामस्वरूप एक करोड़ हिन्दू-सिख भारत भागने पर मजबूर किए गए ।


इसमें चौंकाने वाला तथ्य ये है कि वर्तमान भारत में भी इस दौरान हिन्दुओं पर हमले किए गए और तब की सैकुलर सरकार तमाशा देखती रही जिहादियों की रक्षा में लगी रही हिन्दुओं को मरवाती रही ।


फरवरी 1950 में 10,000 हिन्दुओं का ढाका और बंगला देश(तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) के अन्य भागों में नरसंहार किया गया । उसके बाद के कुछ महीनों में लाखों हिन्दुओं को वहां से भगाया गया ।


1950-60 के बीच में 50 लाख हिन्दुओं को मुस्लिम जिहादियों द्वारा पूर्वी पाकिस्तान से भारत भगाया गया ।


1971 में पाकिस्तानी सेना ने बांगलादेश मुक्ति अंदोलन के दौरान 25 लाख हिन्दुओं का कत्ल किया । जिसके परिणामस्वरूप अधिकतर हिन्दू सुरक्षा की खोज में भारत भाग आये ।


उस वक्त की सरकार ने इन हिन्दुओं की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए ? कोई नहीं । आखिरकार बांगलादेश बनवाने का दावा करने वाले इन लोगों ने क्यों हिन्दुओं को लावारिस छोड़कर मरने पर मजबूर किया ?


सिर्फ इसलिए कि हिन्दू कभी संगठित होकर गैर हिन्दुओं पर हमला नहीं करता या फिर इसलिए कि कभी एकजुट होकर संगठित वोट बैंक नहीं बनाता ?


1989 में बांगलादेश में सैंकड़ों मन्दिर गिराए गए ।


1947 से 2000 के बीच जिहादी हमलों में 6 लाख चकमा बनवासियों का नामोनिशान मिटा कर मुसलमानों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर उनकी औरतों को जबरन मुसलमानों के साथ विवाह करने को बाध्य किया ।


जागो ! हिन्दू जागो !


लड़ाई से भागो मत एकजुट होकर लड़ों वरना मिटा दिए जाओगे इन मुस्लिम जिहादियों व इनके आका धर्मनिर्पेक्षतावादियों द्वारा ।


1947-48 में मुसलमानों ने कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा किया(पी ओ के) वहां से सब हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दिया गया ।


1985 में अलकायदा की स्थापना के बाद भारत समेत सारे भारत में मुस्लिम जिहाद के एक नये दौर की शुरूआत हुई ।


1986 में कश्मीर में जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर एक तरफा हमले शुरू किए गए । जिहादियों ने एक को मारो एक का बलात्कार करो सैंकड़ों को भगाओ की नीति अपनाई । मुसलमानों ने मस्जिदों से लाउडस्पीकरों द्वारा जिहाद का प्रचार प्रसार किया । उर्दू प्रैस के द्वारा भी जिहाद का प्रचार प्रसार किया गया । जिहाद शुरू होते ही हिन्दुओं के पड़ोसी मुसलमान ही उनके शत्रु बन गए । मुसलमानों ने संगठित होकर हिन्दुओं को निशाना बनाना शुरू किया ।


जिहादियों की भीड़ इक्ट्ठी होकर हिन्दुओं के घर में जाती उन पर हर तरह के जुल्म करने के बाद उनको दूध पीते बच्चों सहित हलाल कर देती । यहाँ समाचार दिया जाता पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ये सब कर दिया । लेकिन सच्चाई यही थी कि हिन्दुओं को हलाल करने वाले उनके पड़ोसी मुसलमान ही होते थे। जो हिन्दुओं को कत्ल करने के बाद अपने-अपने घरों में रहते थे ।


कश्मीर के अधिकतर पुलिसकर्मी व महबूबामुक्ती जैसे नेता इस्लाम के नाम पर इन जिहादियों का हर तरह से सहयोग करते थे अभी भी कर रहे हैं । कई बार तो बाप व भाईयों के हाथ पैर बांध कर उनके परिवार की औरतों की इज्जत लूटकर उसके फोटो खींच कर बाप और भाईयों को ये सब देखते हुए दिखाया जाता था । बाद में ये तसवीरें हिन्दुओं के घरों के सामने चिपका दी जाती थी । परिणाम जो भी हिन्दू इन तसवीरों को देखता वही अपने परिवार की औरतों की इज्जत की रक्षा की खातिर भाग खड़ा होता । और उसके पास रास्ता भी क्या था सिवाय हथियार उठाने या भागने के । हिन्दुओं ने हथियार उठाने के बजाए भागना बेहतर समझा । क्योंकि अगर वो हथियार उठाते तो ये सैकुलर नेता उन्हें अल्पसंख्यकों बोले तो मुसलमानों का शत्रु बताकर जेल में डाल देते फांसी पर लटका देते ।


हमें हैरानी होती है इन धर्मनिर्पेक्षता की बात करने वालों पर जो हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों के बारे में देश-दुनिया को जागरूक करने वालों को आतंकवादी कहते हैं, साम्प्रदायिक कहते हैं और इन सब जुल्मों-सितम को राजनीति बताते है हिन्दुओं को गुमराह करते है । ये सब दुष्प्रचार सिर्फ जिहादी ही नहीं बल्कि जिहादियों के साथ-साथ इनके ठेकेदार धर्मनिर्पेक्षता के पर्दे में छुपे ये राक्षस भी करते हैं जो अपनों का खून बहता देखकर भी अपनी आत्मा की आवाज नहीं सुनते । न केवल इन जिहादी आतंकवादियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं पर सरकार भी बनाते हैं और सत्ता में आने के बाद जिहादियों के परिवारों का जिम्मा उठाते हैं । उनको हर तरह की मदद की जिम्मेवारी लेते हैं जिहादी आतंकवादियों के परिवारों को आर्थिक सहायता देते हैं । हिन्दुओं को अपने घरों से भागने पर मजबूर करते हैं । जिहादियों के विरूद्ध सेना द्वारा कार्यवाही शुरू होने पर जिहादियों के मानवाधिकारों का रोना रोते हैं मतलब हर हाल में जिहादियों का साथ देते हैं ।


अगर आप सोचते हैं कि हम कोई पुरानी बात कर रहे हैं तो आप गलत हैं। जो कुछ कश्मीर में हिन्दुओं के साथ किया गया वो ही सबकुछ अब जम्मू के मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में दोहराय जाने की तैयारी हो चुकी है तैयारी ही क्यों उसकी तो शुरूआत भी हो चुकी है पिछले दिनों जब डोडा उधमपुर में मई 2006 में 36 हिन्दुओं का कत्ल किया गया तो इस नरसंहार में बच निकलने में सफल हुए हिन्दुओं ने बताया कि उन्हें ये देख कर हैरानी हुई कि जो मुस्लिम जिहादी हिन्दुओं को इस तरह कत्ल कर रहे थे वो इन हिन्दुओं के पड़ोसी मुसलमान ही थे । जम्मू के मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में इसके अतिरिक्त भी कई नरसंहार हो चुके हैं ।


पिछले दिनों हिमाचल के साथ लगते जम्मू के एक गाँव में गांव वालों ने जब एक मुस्लिम जिहादी को मार गिराया तो वहां के मुस्लिम जिहादी मुख्यमन्त्री के इशारे पर पुलिस इन गांव वालों की जान के पीछे पड़ गई । बेचारे गाँव वालों ने हिमाचल के चम्बा में छुप कर जान बचाई ।


जरा आप सोचो जो गुलामनबी आजाद माननीय न्यायालय से फांसी की सजा प्राप्त अफजल को निर्दोष कहता है क्या वो हिन्दुओं द्वारा मार गिराय गए जिहादी को आतंकवादी मान सकता है ?


क्या आपको याद है कि 20-20 बिश्व कप में भारत द्वारा पाकिस्तान को हरा देने के बाद जम्मू विश्वविद्यालय में देशभक्त हिन्दुओं द्वारा इस जीत की खुशी में भारत माता की जय बुलाय जाने के बाद किस तरह इन हिन्दुओं की पिटाई विशवविद्यालय के जिहादी मुसलमानों ने की और किस तरह सरकार के इशारे पर बाद में पुलिस ने उन दुष्टों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाए इन देशभक्तों को ही निशाना बनाया ?


1993 तक कश्मीर में अधिकतर मन्दिर तोड़ दिय गए । आज सारे का सारा कश्मीर हिन्दुविहीन कर दिया गया है और ये गिरोह बात करता है हिन्दू आतंकवाद की साँप्रदायिकता की । कोई शर्म इमान नाम की चीज है कि नहीं । तब कहां चला जाता है ये सैकुलर गिरोह जब हिन्दुओं के नरसंहार होते हैं । तब तो ये सारा गिरोह जिहादियों का साथ देता है हिन्दुओं के नरसंहार करने वालों को गुमराह मुसलमान बताकर उनको सजा से बचाने के नय-नय बहाने बनाता है जिहादियों के समर्थन में सड़कों पर उत्तरता है ।


आप जितने मर्जी कानून बना लो अब जिहादियों द्वारा हिन्दुओं को निहत्था मरने पर कोई बाध्य नहीं कर सकता । जो हमला करेगा वो मरेगा । यह हमारी नहीं सब हिन्दुओं के उस मन की आवाज है जो लाखों हलाल हो रहे हिन्दुओं की चीखें सुन कर अब और हिन्दुओं को इस तरह न मरने देने की कसम उठा चुके हैं । जिहादियों को उनके किए की सजा जरूर मिलेगी और ऐसी सजा मिलेगी कि उनका हर हिन्दू के कत्ल में साथ देने वाले धर्मनिर्पेक्षता के चोले में छुपे ये राक्षस भी नहीं बचेंगे ।






गुरुवार, 13 मई 2010

दो शब्द हिन्दू क्रांतिकारियों( देवेन्द्र और चन्द्रशेखर) के नाम

 पुष्प कांटो में खिलते हैं,


दीप अंधेरों में जलते हैं


आज नहीं युगों से प्रहलाद,


पीड़ाओं में पलते हैं


भला यातनाओं के बल पर,


क्या कभी क्रांतिकारी रूकते हैं?