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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

रविवार, 28 मार्च 2010

सांप्रदायिक दंगो के वारे में मुंह खोलने से पहले आपको यह जानलेना अति आबस्यक है कि सांप्रदायिक दंगो के लिए जिम्मेबार कौन है फिर आपको खुदवाखुद पता चल जाएगा कि मोदी पर हमला करने बाले कितने सही हैं?

ये सरकार जिस तरह साँप्रदायिक दंगों को हिन्दुओं के विरूद्ध हथियार के रूप में प्रयोग कर रही है। उसे देखकर तो लगता है कि जिहादी हमलों में इतने हिन्दुओं की जान जाने के बावजूद सरकार को मुस्लिम जिहादी मानसिकता का ऐहसास ही नहीं है ।

इस सरकार की जानकारी के लिए हम बता दें कि आज तक देश में हुए दंगों में से 95% दंगों की शुरूआत अल्पसंख्यकों ने की है। इन में से भी अगर 2-4% दंगों को छोड़ दें तो बाकी सब की शुरूआत मुसलमानों में छुपे जिहादियों ने की है ।

आम-मुसलमान खुद को उतना ही भारतीय मानता है जितना बाकी भारतीय मानते हैं इसलिए उसे हिन्दू जीवन पद्धति बोले तो भारतीय जीवन पद्धति पर कोई तकलीफ नहीं होती ।

तकलीफ होती है तो उन मुस्लिम जिहादियों को जो खुद को औरंगजेब और बाबर के उतराधिकारी मानकर इस भारत को इस्लामी राज्य बनाने के षड़यन्त्र को इस सैकुलर गिरोह के सहयोग से व अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए बने विशेष कानूनों के दुरूपयोग से हिन्दुबहुल क्षेत्रों पर लगातार हमला कर आगे बढ़ा रहे हैं ।

अगर आपको नहीं पता तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इतिहास इन तथ्यों का साक्षी है कि कितने ही बार इन जिहादियों ने अल्लाह हो अकबर के नारे लगाते हुए मन्दिरों शिवाल्यों व अन्य पूजा स्थलों पर हमला कर तबाही मचाई व अनगिनत हिन्दुओं को इस्लाम के नाम पर हलाल किया ।

इस हिन्दुविरोधी देशद्रोही सैकुलर जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सरकार व इसके सहयोगी गद्दार मीडिया ने बार-बार साँप्रदायिक दंगों का जिकर कुछ इस अन्दाज में किया कि मानो इन दंगों के लिए हिन्दू जिम्मेवार हों।

हम इतने बड़े पैमाने पर हिन्दुओं के विरूद्ध हुई हिंसा के बारे में लिखना नहीं चाहते थे। परन्तु इस सेकुलर गिरोह द्वारा सामप्रदायिक दंगों के बहाने जिहादियों द्वारा किए जा रहे हिन्दुओं के कत्ल को जायज ठहराने की दुष्टता ने हमें ये सब लिखने पर मजबूर कर दिया। हमें परेशानी में डाल दिया कि कहाँ से शुरू करें इन मुस्लिम जिहादियों द्वारा शुरू किए गए दंगों का लेखा-जोखा। अधिकतर देशद्रोही चैनल तो जिहादियों का समर्थन करने व हिन्दुओं को अपमानित करने में मुस्लिम जिहादियों को भी पीछे छोड़ देते हैं ।

अगर हम 1945 तक हुए हिन्दुओं के नरसहारों को न भी लिखें तो भी इन मुस्लिम जिहादियों ने 1946 के बाद ही हिन्दुओं पर इतने जुल्म ढाये हैं कि इनके बारे में सोचते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं ।

मन ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हिन्दू ये सब कैसे और क्यों सहन कर गए ?

इतना कुछ हो जाने पर भी ये गिरोह जो खुद को सैकुलर कहता है इन जिहादियों का साथ क्यों दे रहा है ?

क्यों इस गिरोह को हिन्दुओं के कत्ल करवाने में फखर महसूस होता है विजय का एहसास होता है ?

क्यों और कैसे ये गिरोह हिन्दुओं के हुए हर नरसंहार के बाद जिहादियों के पक्ष में महौल बनाने पर उतारू हो जाता है ?

क्यों ये गिरोह हिन्दुओं को धोखा देकर उन्हें ही कत्ल करवाने में कामयाब जो जाता है ?

क्यों ये गिरोह हिन्दुओं के आक्रोश से बच जाता है ?

क्यों हिन्दू एकजुट होकर हिन्दुओं के कातिलों व उनके समर्थकों पर एक साथ हमला नहीं बोलते ?

हम शुरू करते हैं 1946 से जब कलकता में मुसलमानों द्वारा किए गए हमलों में 5000 हिन्दुओं का कत्ल किया गया ।

फिर नवम्बर में पूर्वी बंगाल के नौखली जिला में हिन्दुओं का नरसंहार किया गया सब के सब हिन्दुओं को वहां से भगा दिया गया उनकी सम्पति तबाह कर दी गई ।

विभाजन के दौरान कम से कम 20 लाख हिन्दू-सिखों का कत्ल सिर्फ वर्तमान पाकिस्तान में किया गया ।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1947-1951 तक जिहादी मुसलमानों द्वारा किए गये अत्याचारों के परिणामस्वरूप एक करोड़ हिन्दू-सिख भारत भागने पर मजबूर किए गए ।

इसमें चौंकाने वाला तथ्य ये है कि वर्तमान भारत में भी इस दौरान हिन्दुओं पर हमले किए गए और तब की सैकुलर सरकार तमाशा देखती रही जिहादियों की रक्षा में लगी रही हिन्दुओं को मरवाती रही ।

फरवरी 1950 में 10,000 हिन्दुओं का ढाका और बंगला देश(तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) के अन्य भागों में नरसंहार किया गया । उसके बाद के कुछ महीनों में लाखों हिन्दुओं को वहां से भगाया गया ।

1950-60 के बीच में 50 लाख हिन्दुओं को मुस्लिम जिहादियों द्वारा पूर्वी पाकिस्तान से भारत भगाया गया ।

1971 में पाकिस्तानी सेना ने बांगलादेश मुक्ति अंदोलन के दौरान 25 लाख हिन्दुओं का कत्ल किया । जिसके परिणामस्वरूप अधिकतर हिन्दू सुरक्षा की खोज में भारत भाग आये ।

उस वक्त की सरकार ने इन हिन्दुओं की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए ? कोई नहीं । आखिरकार बांगलादेश बनवाने का दावा करने वाले इन लोगों ने क्यों हिन्दुओं को लावारिस छोड़कर मरने पर मजबूर किया ?

सिर्फ इसलिए कि हिन्दू कभी संगठित होकर गैर हिन्दुओं पर हमला नहीं करता या फिर इसलिए कि कभी एकजुट होकर संगठित वोट बैंक नहीं बनाता ?

1989 में बांगलादेश में सैंकड़ों मन्दिर गिराए गए ।

1947 से 2000 के बीच जिहादी हमलों में 6 लाख चकमा बनवासियों का नामोनिशान मिटा कर मुसलमानों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर उनकी औरतों को जबरन मुसलमानों के साथ विवाह करने को बाध्य किया ।

जागो ! हिन्दू जागो !

लड़ाई से भागो मत एकजुट होकर लड़ों वरना मिटा दिए जाओगे इन मुस्लिम जिहादियों व इनके आका धर्मनिर्पेक्षतावादियों द्वारा ।

1947-48 में मुसलमानों ने कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा किया(पी ओ के) वहां से सब हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दिया गया ।

1985 में अलकायदा की स्थापना के बाद भारत समेत सारे भारत में मुस्लिम जिहाद के एक नये दौर की शुरूआत हुई ।

1986 में कश्मीर में जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर एक तरफा हमले शुरू किए गए । जिहादियों ने एक को मारो एक का बलात्कार करो सैंकड़ों को भगाओ की नीति अपनाई । मुसलमानों ने मस्जिदों से लाउडस्पीकरों द्वारा जिहाद का प्रचार प्रसार किया । उर्दू प्रैस के द्वारा भी जिहाद का प्रचार प्रसार किया गया । जिहाद शुरू होते ही हिन्दुओं के पड़ोसी मुसलमान ही उनके शत्रु बन गए । मुसलमानों ने संगठित होकर हिन्दुओं को निशाना बनाना शुरू किया ।

जिहादियों की भीड़ इक्ट्ठी होकर हिन्दुओं के घर में जाती उन पर हर तरह के जुल्म करने के बाद उनको दूध पीते बच्चों सहित हलाल कर देती । यहाँ समाचार दिया जाता पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ये सब कर दिया । लेकिन सच्चाई यही थी कि हिन्दुओं को हलाल करने वाले उनके पड़ोसी मुसलमान ही होते थे। जो हिन्दुओं को कत्ल करने के बाद अपने-अपने घरों में रहते थे ।

कश्मीर के अधिकतर पुलिसकर्मी व महबूबामुक्ती जैसे नेता इस्लाम के नाम पर इन जिहादियों का हर तरह से सहयोग करते थे अभी भी कर रहे हैं । कई बार तो बाप व भाईयों के हाथ पैर बांध कर उनके परिवार की औरतों की इज्जत लूटकर उसके फोटो खींच कर बाप और भाईयों को ये सब देखते हुए दिखाया जाता था । बाद में ये तसवीरें हिन्दुओं के घरों के सामने चिपका दी जाती थी । परिणाम जो भी हिन्दू इन तसवीरों को देखता वही अपने परिवार की औरतों की इज्जत की रक्षा की खातिर भाग खड़ा होता । और उसके पास रास्ता भी क्या था सिवाय हथियार उठाने या भागने के । हिन्दुओं ने हथियार उठाने के बजाए भागना बेहतर समझा । क्योंकि अगर वो हथियार उठाते तो ये सैकुलर नेता उन्हें अल्पसंख्यकों बोले तो मुसलमानों का शत्रु बताकर जेल में डाल देते फांसी पर लटका देते ।

हमें हैरानी होती है इन धर्मनिर्पेक्षता की बात करने वालों पर जो हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों के बारे में देश-दुनिया को जागरूक करने वालों को आतंकवादी कहते हैं, साम्प्रदायिक कहते हैं और इन सब जुल्मों-सितम को राजनीति बताते है हिन्दुओं को गुमराह करते है । ये सब दुष्प्रचार सिर्फ जिहादी ही नहीं बल्कि जिहादियों के साथ-साथ इनके ठेकेदार धर्मनिर्पेक्षता के पर्दे में छुपे ये राक्षस भी करते हैं जो अपनों का खून बहता देखकर भी अपनी आत्मा की आवाज नहीं सुनते । न केवल इन जिहादी आतंकवादियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं पर सरकार भी बनाते हैं और सत्ता में आने के बाद जिहादियों के परिवारों का जिम्मा उठाते हैं । उनको हर तरह की मदद की जिम्मेवारी लेते हैं जिहादी आतंकवादियों के परिवारों को आर्थिक सहायता देते हैं । हिन्दुओं को अपने घरों से भागने पर मजबूर करते हैं । जिहादियों के विरूद्ध सेना द्वारा कार्यवाही शुरू होने पर जिहादियों के मानवाधिकारों का रोना रोते हैं मतलब हर हाल में जिहादियों का साथ देते हैं ।

अगर आप सोचते हैं कि हम कोई पुरानी बात कर रहे हैं तो आप गलत हैं। जो कुछ कश्मीर में हिन्दुओं के साथ किया गया वो ही सबकुछ अब जम्मू के मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में दोहराय जाने की तैयारी हो चुकी है तैयारी ही क्यों उसकी तो शुरूआत भी हो चुकी है पिछले दिनों जब डोडा उधमपुर में मई 2006 में 36 हिन्दुओं का कत्ल किया गया तो इस नरसंहार में बच निकलने में सफल हुए हिन्दुओं ने बताया कि उन्हें ये देख कर हैरानी हुई कि जो मुस्लिम जिहादी हिन्दुओं को इस तरह कत्ल कर रहे थे वो इन हिन्दुओं के पड़ोसी मुसलमान ही थे । जम्मू के मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में इसके अतिरिक्त भी कई नरसंहार हो चुके हैं ।

पिछले दिनों हिमाचल के साथ लगते जम्मू के एक गाँव में गांव वालों ने जब एक मुस्लिम जिहादी को मार गिराया तो वहां के मुस्लिम जिहादी मुख्यमन्त्री के इशारे पर पुलिस इन गांव वालों की जान के पीछे पड़ गई । बेचारे गाँव वालों ने हिमाचल के चम्बा में छुप कर जान बचाई ।

जरा आप सोचो जो गुलामनबी आजाद माननीय न्यायालय से फांसी की सजा प्राप्त अफजल को निर्दोष कहता है क्या वो हिन्दुओं द्वारा मार गिराय गए जिहादी को आतंकवादी मान सकता है ?

क्या आपको याद है कि 20-20 बिश्व कप में भारत द्वारा पाकिस्तान को हरा देने के बाद जम्मू विश्वविद्यालय में देशभक्त हिन्दुओं द्वारा इस जीत की खुशी में भारत माता की जय बुलाय जाने के बाद किस तरह इन हिन्दुओं की पिटाई विशवविद्यालय के जिहादी मुसलमानों ने की और किस तरह सरकार के इशारे पर बाद में पुलिस ने उन दुष्टों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाए इन देशभक्तों को ही निशाना बनाया ?

1993 तक कश्मीर में अधिकतर मन्दिर तोड़ दिय गए । आज सारे का सारा कश्मीर हिन्दुविहीन कर दिया गया है और ये गिरोह बात करता है हिन्दू आतंकवाद की साँप्रदायिकता की । कोई शर्म इमान नाम की चीज है कि नहीं । तब कहां चला जाता है ये सैकुलर गिरोह जब हिन्दुओं के नरसंहार होते हैं । तब तो ये सारा गिरोह जिहादियों का साथ देता है हिन्दुओं के नरसंहार करने वालों को गुमराह मुसलमान बताकर उनको सजा से बचाने के नय-नय बहाने बनाता है जिहादियों के समर्थन में सड़कों पर उत्तरता है ।

आप जितने मर्जी कानून बना लो अब जिहादियों द्वारा हिन्दुओं को निहत्था मरने पर कोई बाध्य नहीं कर सकता । जो हमला करेगा वो मरेगा । यह हमारी नहीं सब हिन्दुओं के उस मन की आवाज है जो लाखों हलाल हो रहे हिन्दुओं की चीखें सुन कर अब और हिन्दुओं को इस तरह न मरने देने की कसम उठा चुके हैं । जिहादियों को उनके किए की सजा जरूर मिलेगी और ऐसी सजा मिलेगी कि उनका हर हिन्दू के कत्ल में साथ देने वाले धर्मनिर्पेक्षता के चोले में छुपे ये राक्षस भी नहीं बचेंगे ।



1969 में गुजरात,1978 में अलीगढ़ ,1979 में जमशेदपुर, 1980 में मुरादाबाद,1982 और 88 में मेरठ,1989 में भागलपुर । कौन नहीं जानता कि ये सब के सब सांप्रदायिक दंगे मुसलमानों ने शुरू किए थे । बेशक बाद में इन में से कुछ दंगों में मुसलमानों को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी थी ।

जनवरी 1993 में भी मुम्बई में दंगे इन मुस्लिम जिहादियों ने ही शुरू किए थे और उसके बाद 12 मार्च 1993 को मुम्बई में ही बम्ब विस्फोट कर 600 हिन्दुओं का कत्ल किया व हजारों को घायल किया करोड़ों की सम्पति तबाह की सो अलग ।

15 मार्च 1993 में सी पी आई एम के सदस्य रासिद खान ने कलकता में बम्ब विस्फोट कर 100 लोगों का कत्ल किया ।

फरवरी 1998 में कोयम्बटूर में इन जिहादियों ने बम्ब विस्फोट कर अडवाणी जी को कत्ल करने की कोशिश की । इन बम्ब विस्फोटों में सैंकड़ो हिन्दुओं का कत्ल किया गया । इन हमलों के दोषी मदनी को इस सैकुलर सरकार ने न केवल सजा से बचाया बल्कि और हिन्दुओं का खून बहाने के लिए जेल से निकाल कर खुला छोड़ दिया ।

क्या आप भूल गए किस तरह गोधरा में 27 फरवरी 2002 को 2000 मुस्लिम जिहादियों की भीड़ जिसका नेतृत्व कांग्रेसी पार्षद कर रहा था, ने 58 हिन्दुओं को रेल के डिब्बे में जिन्दा जला दिया व इतने ही हिन्दुओं को घायल कर दिया, जो इन जिहादियों के बढ़ते हुए दुस्साहस को दिखाता है । बाद में किस तरह इस सैकुलर बोले तो देशद्रोही सरकार ने इन हिन्दुओं को जलाने वालों को बचाने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त जज द्वारा की जा रही जांच को बाधित करने का षड़यन्त्र किया !

अभी 2008 में किस तरह इन जिहादियों ने आतंकवाद के विरोध में रैली करने जा रहे सांसद योगी अदित्यनाथ पर आजमगढ़ में हमला बोल दिया । यह कैसी धर्मनिर्पेक्षता है जिसके राज में एक सांसद तक मुस्लिम जिहादी आतंकवाद के विरूद्ध बोलने की कोशिश करने पर मुसलमानों के हमले का शिकार हो जाता है ? जिस देश में जिहादी आतंकवाद के विरूद्ध बोलने पर एक सांसद तक सुरक्षित नहीं उस देश में आम हिन्दू बिना हथियार उठाये कैसे सुरक्षित रह सकता है ?

ठीक इसी तरह महाराष्ट्र धुले में इन जिहादियों ने आतंकवाद के विरोध में होने वाली रैली को दंगा फैला कर वहां की सरकार के सहयोग से रूकवाने में सफलता हासिल की । किस तरह उत्तर प्रदेश में इन जिहादियों ने बी एस पी नेता की हत्या की और किस तरह वहां की तत्कालीन सैकुलर जिहाद समर्थक सरकार ने उन जिहादियों की सहायता की ।

उत्तर प्रदेश में मऊ मे हुए दंगों को कौन भुला सकता है जब एक मुस्लिम जिहादी विधायक अंसारी ने गाड़ी में घूम-घूम कर मुसलमानों को उकसा कर हिन्दुओं के कत्ल करवाये । हिन्दूसंगठनों के कितने ही कार्यकर्ता इन जिहादियों के हमलों में आज तक मारे जा चुके हैं । आये दिन हिन्दुओं पर हमला करना इन मुस्लिम जिहादियों की आदत सी बनती जा रही है ।

हिन्दू तो आत्मरक्षा में मजबूरी में जवाबी कार्यवाही करता है वो भी कभी-कभी पानी सिर के ऊपर से निकल जाने के बाद । हिमाचल के चम्बा में 1998 में इन मुस्लिम जिहादियों ने दर्जनों हिन्दुओं का कत्ल कर दिया । कत्ल होने वाले सभी मजदूर थे । कत्ल करने वाले चम्बा के ही मुस्लिम जिहादी हैं जो आज तक बिना किसी सजा के खुले घूम रहे हैं क्योंकि पुलिस के पास ऐसे जिहादियों से निपटने के लिए कोई कड़ा कानून नहीं है।

सुन्दरनगर मण्डी में मुस्लिम प्रधान चुने जाने के बाद मुसलमानों में छुपे जिहादियों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाये । मण्डी में ही उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम जिहादी जो दर्जी का काम करता था, ने हिन्दू लड़की पर तेजाब फैंक दिया । आपको हैरानी होगी कि उस वक्त मंडी में पुलिस अधीक्षक भी मुस्लिम ही था । बाद में ये जिहादी पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहा ।

हिमाचल में ही आए दिन जगह-जगह सरकारी जमीन पर कब्र बनाकर कब्जा करने के प्रयत्न किये जा रहे हैं । हिन्दुओं द्वारा विरोध किए जाने पर अल्पसंख्यवाद का सहारा लिया जा रहा है ।

कश्मीर के जिन मुस्लिम जिहादियों ने हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दिया वो भी अपने आप को आम मुसलमान बताकर हिमाचल व देश के अन्य हिन्दुबहुल हिस्सों में खुले घूम रहे हैं कभी मजदूरों के वेश, में तो कभी कपड़ा बेचने वालों के वेश में, तो कभी पल्लेदारों के वेश में प्रशासन उनका सहयोग कर रहा है । आम लोग इनकी बढ़ती संख्या को देखकर कोई अनहोनी न हो जाए ये सोच कर डर रहे हैं। हिन्दू संगठनों से इनके विरूद्ध कार्यवाही करने की गुहार लगा रहे हैं । हिमाचल का आम हिन्दू ये सोचने पर मजबूर हो गया है कि कहीं ये लोग कश्मीर में सेना की कार्यवाही से बचने के लिए तो हिमाचल नहीं आते । क्योंकि ये अक्सर सर्दियों में तब आते हैं जब पहाड़ों पर बर्फ पड़ जाती है जहां ये गर्मियां शुरू होते ही छुप जाते हैं व मौका पाते ही हिन्दुओं पर हमला बोल देते हैं । हिमाचल का चम्बा का डोडा के साथ लगता क्षेत्र तो इन जिहादियों की पक्की शरणगाह बनचुका है । सरकारी जमीन पर लगातार कब्जा किया जा रहा है हिन्दुओं की जमीन खरीद कर क्षेत्र को मुस्लिमबहुल बनाया जा रहा है और प्रशासन सो रहा है ।

कुछ वर्ष पहले बिलासपुर में एक मुस्लिम बस चालक/परिचालक ने हिन्दू लड़की को अगवा करने की कोशिश की । बाहर के अधिकतर जिहादी आम मुसलमानों के यहां शरण ले रहे हैं इन्हें जिहाद की शिक्षा दे रहे हैं हिन्दुओं के विरूद्ध भड़का रहे हैं । ये सब तब हो रहा है जब हिमाचल में हिन्दू 95% से अधिक हैं ।

अगर हिन्दू साम्प्रदायिक होते जैसे सैकुलर गिरोह प्रचारित करता है तो आज तक यहां एक भी मुसलमान जिन्दा न बचता ।पर सच्चाई यह है कि आज तक एक भी मुसलमान को हिन्दुओं ने हाथ नहीं लगाया है फिर भी हिन्दू सांप्रदायिक और जिस गिरोह के सहयोग से मुसलमानों ने कश्मीर से हिन्दुओं का सफाया कर दिया वो गिरोह और मुसलमान –शान्तिप्रय सैकुलर ।

हिमाचल के हिन्दुबहुल होने के बावजूद मुस्लिम जिहादियों द्वारा बार-बार किए जा रहे हमलों व मुसलमानों द्वारा किये जा रहे अतिक्रमण को हिन्दू कब तक सहन करेगा । एक वक्त तो ऐसा आयगा जब ये सब्र का बांध टूटेगा फिर क्या होगा...सब ठीक हो जाएगा !

अब ये सैकुलर जिहाद समर्थक सरकार इन जिहादियों को दंगों में मारे जाने पर लाखों रूपये की सहायता की घोषणा कर इनका हौसला बढ़ा रही है व हिन्दुओं के जान-माल को खतरे में डाल रही है ।

खैर हम भी कैसी बात कर रहे हैं जो सरकार खुद किसी अंग्रेज की गुलाम हो वो हिन्दुओं को तबाह करने के सिवा कर भी क्या सकती है ? क्योंकि जब हिन्दू तबाह और बरबाद हो जांयेंगे तभी तो ये देशद्रोही इस भारत को तबाह करने में कामयाब हो पांयेगे !

अन्त में सिर्फ इतना कहेंगे कि जिहादियों ने मुम्बई की सड़कों पर जिस तरह सरेआम गोलियां बरसाईं व निहत्थे बेकसूर लोगों का कत्लेआम किया वो भी पुलिस की गाड़ी में बैठकर । जिसके परिणाम सवरूप अभिताभ बच्चन जैसे लोगों को अपना हथियार बगल में रखकर सोना पड़ा ।

इस सब से यही सिद्ध होता है कि अगर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर हिन्दुओं में इन जिहादियों के विरूद्ध जागरूकता अभियान चला रही थी और लैफ्टीनैंट कर्नल श्रीकांत प्रोहित हिन्दुओं को आत्म रक्षा की ट्रेनिंग दे रहे थे तो अच्छा ही कर रहे थे क्योंकि जो सरकार इस समाज के खास लोगों की रक्षा नहीं कर सकती अपने अधिकरियों तक को नहीं बचा सकती वो भला आम लोगों की क्या रक्षा करेगी कैसे करेगी और क्यों करेगी वो तो चन्दा भी नहीं दे सकते !

ऐसे में जब सरकार आम हिन्दुओं को जागरूक करने वालों व आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने वालों को जेल में बन्द करती है तो वो कुल मिलाकर आतंकवादियों के काम को आसान बनाती है क्योंकि आत्मरक्षा की ट्रेनिंग लिए हुए लोगों को आतंकवादी इतनी आसानी से नहीं मार सकते जैसे मुम्बई की सड़कों पर मारा गया ।

जिस वक्त मुम्बई में कमांडो कार्यवाही चल रही थी ठीक उस वक्त मुस्लिम जिहादी इन्टरनैट पर दुआ कर रहे थे हे अल्लाह हिन्दुओं को तबाह और बरबाद कर दे। उन्हें ऐसी भयानक मौत दो ताकि उनकी रूह कांप जाए और हम हिन्दुस्थान को दारूल इस्लाम बनाने में कामयाब हो जांयें ।

अब ऐसे महौल में भारत के मुस्लिम जिहादी इस जिहाद में सहयोग नहीं करेंगे मात्र कल्पना तो हो सकती है यथार्थ नहीं । मामला सिर्फ आम मुसलमान को इस जिहाद में शामिल होने से बचाना है पर इन्हें तभी बचाया जा सकता है जब सरकार कड़े से कड़े कानून बनाकर जिहादियों के साथ-साथ उनके समर्थकों को भी मौत के घाट उतार दे ।

अगर सरकार जिहादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाए उनको बचाने की कोशिश करती है जिहादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वालों को जेल में डालती है तो फिर ये काम तो प्रखर देशभक्त लोगों को ही करना पड़ेगा । क्योंकि अगर इस जिहाद को यथाशीघ्र जड़मूल से समाप्त न किया गया तो ये हर भारतीय का सुख चैन छीन लेगा ।

कुछ लोग अज्ञानवश जिहादी आतंकवाद की तुलना सिखों के आतंकवाद से करने की गलती करते हैं वो ये भूल जाते हैं कि सिखों का इतिहास धर्म की रक्षा की खातिर की गई बेहिसाब कुरबानियों का इतिहास है। सिखों का हिन्दुओं के साथ खून का वो गूढ़ रिश्ता है जिसने मुशकिल की उस घड़ी में भी हिन्दू-सिखों की आत्मा को मरने नहीं दिया । सिखों की धर्मिक पुस्तकें गैर सिखों के कत्लोगारद का समर्थन नहीं करतीं ।

अगर हम मुसलमानों के इतिहास को देखें तो ये हिन्दुओं के कत्लोगारद का इतिहास है इस इतिहास का हर पन्ना हिन्दुओं के ऊपर जिहादियों द्वारा किये हमलों से भरा पड़ा है । ये इतिहास धोखे, गद्दारी, व नमकहरामी का इतिहास है ।

अगर इतने हमलों और बर्बरता के बाद भी ईरान, मिश्र, मैसोपोटामिया, तुर्की, उत्तर अफ्रीका की तरह भारत का इस्लामीकरण न हो पाया तो ये कोई मुस्लिम जिहादियों की उदारता या दया की वजह से नहीं जैसा कि ये गद्दार गिरोह दुष्प्रचार करता है क्योंकि ये गुण तो इन जिहादी राक्षसों में थे ही नहीं, न आज हैं। ये तो हिन्दू क्राँतिकारियों व हिन्दुओं द्वारा लगातार किया गया कड़ा संघर्ष था जिसने भारतीय सभ्यता संस्कृति को बचाय रखा ।

शुरू में जब मुस्लिम जिहादियों ने हिन्दुओं पर हमला किया तो हिन्दू उनको अपने जैसा इन्सान समझने की गलती कर बैठे । जैसे जैसे हिन्दुओं को मुस्लिम जिहादियों के अत्याचारी और बर्बर प्रवृति का पता चलता गया वैसे- वैसे हिन्दू जागरूक और संगठित होता गया ।

वर्तमान में मुस्लिम जिहादियों ने बम्ब विस्फोट कर हिन्दुओं पर हमला करने का अधुनिक मार्ग अपनाया है बम्ब विस्फोट उन क्षेत्रों में किए जाते हैं जहां मुसलमान बहुत कम संख्या में हैं जहां मुसलमानों की बड़ी संख्या है वहां आज भी हिन्दुओं को गला काट कर हलाल करने का मार्ग अपनाया जाता है जैसे कश्मीर में कई बार देखने को मिला ।

हिन्दुबहुल क्षेत्रों में जहां कहीं भी मुसलमानों की संख्या बढ़ जाती है वहां पर पहले हिन्दुओं/मन्दिरों/त्योहारों पर हमला कर दंगा फैलाया जाता है इन दंगों में पहले हिन्दुओं को छुरा घोंप कर मारा जाता था अब इन हमलों में भी छोटे-छोटे देशी कट्टों व बमों का इस्तेमाल होने लगा है। हमलों के दौरान दंगा रोकने में लगे पुलिस कर्मियों पर भी अक्सर हमला बोला जाता है । ये हमले अक्सर योजना बनाकर किये जाते हैं जिससे कि हिन्दुओं के जान-माल को अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाया जा सके ।

अगर कहीं हिन्दू आत्म रक्षा में तैयार बैठे हों और मुसलमानों को प्रतिक्रिया में नुकसान उठाना पड़ जाए तो फिर ये मुस्लिम जिहादी इसे अल्पसंख्यकों पर हमला बताकर जगह-जगह हिन्दुओं को सांप्रदायिक कहकर दुष्प्रचार शुरू कर देते हैं और ये जिहादसमर्थक गिरोह इनके इस दुष्प्रचार को आगे बढ़ाता है ।

आपको यहां पर इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि दुनिया का हर कानून इन्सान को आत्मरक्षा का अधिकार देता है फिर हिन्दुओं द्वारा इस अधिकार का उपयोग न करने के लिए दबाव बनाना व हिन्दुओं को इस अधिकार का उपयोग करने पर उन्हें बदनाम करना, उनको इन मुस्लिम जिहादियों के हाथों निहत्था मरने पर मजबूर करने के समान है जिससे हर किसी को बचने का प्रयत्न करना चाहिए ।

3 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

अपने बच्चों को सैनिक शिक्षा दिलवाना और उनके दिमाग से सिकुलरी का भूत उतारना पड़ेगा.

बेनामी ने कहा…

Sunil ji aapko koti-koti pranam. Aaap shuturmurgi hinduon ko jagane ke lie akalpneey paryaas kar rahe hain. Aaap ki lakhnee adbhut hai. Tathyon, Ghatnaaon ko is prakar se prastut karte hain ki aapki lekhni seedhe hriday men chot karti hai. Rakt khaula deti hain. Aap hindu dharm ke aadhunik arjun hain jo machli ki aankh per waar karna sikha rahe hain. Aapka bahut bahut dhanyawaad.

Vivek ने कहा…

Sunil ji meri pehli tippani benami naam se prkashit ho gai. Aapke is aankhen khol dene waale, saargarbhit, ojaswi lekh ke lie bahut bahut dhanyawaad. Vivek